सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को तीन तलाक मामले की सुनवाई के छठे दिन याचिकाकर्ता शायरा बानो की ओर से दलील दी गई कि तीन तलाक ना तो इस्लाम का हिस्सा है और ना ही आस्था का. उन्होंने कहा कि मेरी आस्था ये है कि तीन तलाक मेरे और ईश्वर के बीच में पाप है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कहता है कि ये बुरा है, पाप है और अवांछनीय है. ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है.
सलमान खुर्शीद भी कह रहे हैं कि ये पाप है. महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी मानता है कि तीन तलाक बुरा है. केंद्र सरकार भी कह रही है कि ये महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है लेकिन सरकार कानून लेकर नहीं आएगी. ऐसे में याचिकाकर्ता कहां जा सकती है जबकि उसके अधिकारों का हनन हो रहा हो क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ही नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षक है तो कोर्ट को ही इस मामले में इंसाफ देना चाहिए.
कोई कहता है कि संसद जाओ और कानून बनाने की मांग करो लेकिन कानून बनेगा भी तो वो आगे के लिए होगा. उससे मेरे बच्चे वापस नहीं आएंगे, मुझे इंसाफ कैसे मिलेगा?
सलमान खुर्शीद भी कह रहे हैं कि ये पाप है. महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी मानता है कि तीन तलाक बुरा है. केंद्र सरकार भी कह रही है कि ये महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है लेकिन सरकार कानून लेकर नहीं आएगी. ऐसे में याचिकाकर्ता कहां जा सकती है जबकि उसके अधिकारों का हनन हो रहा हो क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ही नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षक है तो कोर्ट को ही इस मामले में इंसाफ देना चाहिए.
कोई कहता है कि संसद जाओ और कानून बनाने की मांग करो लेकिन कानून बनेगा भी तो वो आगे के लिए होगा. उससे मेरे बच्चे वापस नहीं आएंगे, मुझे इंसाफ कैसे मिलेगा?
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