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This Article is From Dec 21, 2021

तृणमूल कांग्रेस के राज्‍यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को संसद के बचे सत्र के लिए निलंबित किया गया

डेरेक ओ ब्रायन को शीत सत्र के बाकी बचे अवधि के लिए निलंबित किया गया है. उन पर इलेक्टोरल रोल बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने वॉकआउट किया था, उस दौरान डेरेक ओ ब्रायन पर रूल बुक रिपोर्टर्स टेबल की तरफ फेंकने का आरोप है.

नई दिल्ली:

तृणमूल कांग्रेस के राज्‍यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को संसद के बचे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. संसदीय कार्य राज्य मंत्री ने तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन को शीत सत्र के बाकी बचे दिनों से निलंबित करने का मोशन सदन में पेश किया था. डेरेक ओ ब्रायन को शीत सत्र के बाकी बचे अवधि के लिए निलंबित किया गया है. उन पर इलेक्टोरल रोल बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने वॉकआउट किया था, उस दौरान डेरेक ओ ब्रायन पर रूल बुक रिपोर्टर्स टेबल की तरफ फेंकने का आरोप है. संसद का सत्र अगले चार दिनों में खत्म होने वाला है. इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन 12 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. उन पर संसद के पिछले मॉनसून सत्र के दौरान संसद में दुर्व्यवहार और हंगामा करने का आरोप था. इसको लेकर संसद के दोनों सदनों में लगातार हंगामा और शोरशराबा हो रहा है. सरकार ने वहीं स्पष्ट कर दिया था कि जब तक निलंबित सांसद अपने आचरण के लिए माफी नहीं मांगते हैं, उन्हें बहाल नहीं किया जाएगा. 

हालांकि, निलंबन के बाद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, आखिरी बार मुझे जब राज्यसभा से कृषि कानूनों को सरकार द्वारा जबरदस्ती पारित कराए जाने के दौरान निलंबित किया गया था. हम सभी जानते हैं कि उसके बाद क्या हुआ था. आज मुझे सस्पेंड किया गया है कि जब बीजेपी लोकतंत्र का मजाक बना रही है और चुनाव सुधार कानून को जबरन पारित करवा रही है. उम्मीद है कि ये बिल भी सरकार को जल्द वापस लेना पड़ेगा.

गौरतलब है कि वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने वाला बिल सरकार लोकसभा से पारित करा चुकी है. उसे राज्यसभा में आज पारित कराया जाना है, जबकि विपक्ष मांग कर रहा है कि इसे संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाए. विपक्ष का कहना है कि मतदाता सूची को आधार नंबर से जोड़े जाने में गोपनीयता भंग होने का खतरा है.

हालांकि, सरकार इससे इनकार कर चुकी है. उसका कहना है कि यह वोटर लिस्ट में दोहराव को रोकने और फर्जी वोटर हटाने के लिए है. उसका कहना है कि वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की कवायद पूरी तरह मतदाता की इच्छा पर निर्भर करेगी. अगर कोई आधार नंबर इसके लिए नहीं देता है तो उसका नाम जोड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता. ना ही इस आधार पर किसी का नाम हटाया जा सकता है. 

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