West Bengal assembly Elections: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक दिनेश त्रिवेदी (Dinesh Trivedi) ने शुक्रवार को राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफे का ऐलान करके तृणमूल के 'तिनके-तिनके' में बिखरने का संकेत दिया है. स्वाभाविक है कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस 'बिखराव' का भरपूर आनंद ले रही है. दिनेश त्रिवेदी एक बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं लेकिन उनकी छवि 'मास लीडर' की नहीं है हालांकि उनकी साफ-सुथरी पॉलिटिक्स और छवि को पसंद करने वाले लोग तृणमूल कांग्रेस के साथ साथ दूसरी पार्टियों में भी हैं. 70 वर्षीय त्रिवेदी काफी समय से पार्टी और खासकर इसकी प्रमुख ममता बनर्जी से नाखुश चल रहे थे. चर्चा है कि वे बीजेपी में जा सकते हैं और 'भगवा पार्टी' उनके लिए राज्यसभा में फिर प्रवेश के लिए 'रास्ता' बनाने के लिए तैयार खड़ी है. यह भी कहा जा रहा है कि एक अन्य सांसद शताब्दी राय को भी 'लाने' की बात थी पर ऐन वक्त पर तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें रोक लिया था
दिेनेश त्रिवेदी को जब सुधारवादी' रेल बजट के कारण झेलनी पड़ी थी ममता बनर्जी की नाराजगी
तृणमूल कांग्रेस ने ऊपरी तौर पर भले ही त्रिवेदी की इस्तीफे को तवज्जो नहीं दी है लेकिन हो रहे नुकसान से वह भी भली-भांति वाफिक है. राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, ''तृणमूल' का अर्थ होता है, घास के तिनकों की जड़..इससे हमें एक और अवसर मिलेगा, ताकि हम 'ज़मीन से जुड़े' अपने किसी कार्यकर्ता को जल्द ही राज्यसभा में भेज पाएंगे.' वैसे पार्टी ऊपरी तौर पर भले ही कुछ कहे लेकिन यह सच्चाई कि विधानसभा चुनाव से पहले उसके लिए हो रहा हर 'लॉस', बीजेपी के लिए 'गेन' की तरह है. माना जा रहा है कि पार्टी छोड़ने वाले ज्यादातर लोगों की नाराजगी ममता दीदी की 'निरंकुश कार्यशैली' और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के लगातार 'बढ़ते कद' को लेकर है.
पिछले कुछ माह में बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी को अपना 'नया घर' बनाया है. ममता के खास सिपहसालार कहे जाने वाले मुकुल रॉय के अलावा अनुपम हाजरा और सौमित्र खान तो पहले ही 'दीदी' का साथ छोड़ चुके हैं, अब विधानसभा चुनाव के पहले सुवेंदु अधिकारी, मोनिरूल इस्लाम सहित कुछ मौजूदा और पूर्व विधायकों के बीजेपी में जाने से तृणमूल कांग्रेस का किला हिलता सा नजर आ रहा है. तृणमूल कांग्रेस की ताकत बंगाल में लगातार कम हो रही है और वाम दल व कांग्रेस पार्टी वहां अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. स्वाभाविक है ऐसे में लोगों को बीजेपी में ही तृणमूल कांग्रेस का विकल्प नजर आ रहा है. हो सकता है कि विधानसभा चुनाव में लोगों को 'अप्रत्याशित नतीजे' देखने को मिलें...
तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफे पर बोले दिनेश त्रिवेदी, मेरे पास कोई और विकल्प नहीं बचा था
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