कोरोना संकट के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने दुर्गा पूजा पंडाल (Durga Puja Pandal) को आगंतुकों या दर्शन करने वालों के लिए नो-एंट्री जोन घोषित कर दिया है. न्यायायल के इस आदेश को लेकर कोलकाता के शीर्ष 400 दुर्गा पूजा आयोजकों ने मंगलवार को हाईकोर्ट का दरवाजा का खटखटाया है और अपने आदेश की समीक्षा करने का आग्रह किया है. कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने सोमवार को कहा कि दुर्गा पूजा पंडाल दर्शनार्थियों (visitors) के लिए नो एंट्री जोन होंगे. पंडाल के अंदर सिर्फ आयोजकों को रहने की इजाजत होगी.
आयोजकों के फोरम 'दुर्गोत्सव' ने बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा से दो दिन पहले कोर्ट का रुख किया है. साथ ही कलकत्ता उच्च न्यायालय से अपने फैसले की समीक्षा करने की गुहार लगाई है. दुर्गोत्सव, दुर्गा पूजा आयोजकों का एक संगठन है.
हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा है कि पंडाल के अंदर केवल आयोजकों को ही रहने की इजाजत होगी. कोरोना महामारी के मद्देनजर बड़े पंडालों के लिए यह संख्या 25 और छोटे पंडालों के लिए यह संख्या 15 सीमित की गई है.
न्यायालय ने कहा कि सभी बड़े पंडाल को 10 मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे जबकि छोटे पंडाल के लिए यह पांच मीटर की दूरी पर बैरिकेड लगाने होंगे.लोगों के स्वास्थ्य को अहम बताते हुए अदालत ने कहा कि कोलकाता में इतनी पुलिस नहीं है कि 3000 पंडालों में श्रद्धालुओं को नियंत्रित कर सके.
अदालत के फैसले पर सोमवार को तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि पूजा पंडाल को प्रवेश निषेध क्षेत्र घोषित किए जाने के फैसले से कई लोग निराश होंगे, जबकि राज्य में विपक्षी दलों ने फैसले का स्वागत किया है. तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि लोग दुर्गा पूजा मनाने के लिए सालभर इंतजार करते है. उन्होंने कहा, ‘‘दुर्गा पूजा को संभव बनाने वाले कई आयोजक इस आदेश से निराश होंगे.'' इस बीच, केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने अदालत के फैसले को सही बताते हुए उसका स्वागत किया.
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