यह ख़बर 30 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

2002 के दंगों पर दुख जाहिर करने में मोदी ने काफी देर कर दी : सिब्बल

कपिल सिब्बल का फाइल फोटो

नई दिल्ली:

भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए केंद्रीयमंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि गुजरात दंगों ने भीतर तक हिला कर रख दिया था यह दावा मोदी ने काफी देर से किया। सिब्बल ने कहा कि एक ब्लॉग में उनका हालिया बयान लोकसभा चुनाव से पहले देर से प्रतिक्रिया है।

सिब्बल ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, 'मोदी पर दंगों का बोझ बना रहेगा। उन्होंने यह जाहिर करने में काफी देर कर दी कि इसने उन्हें भीतर तक हिला दिया था। अगर वैसा हुआ होता तो उनके हृदय ने समय पर प्रतिक्रिया व्यक्त की होती। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले देर से प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की होती।'

केंद्रीयमंत्री ने कहा कि 'मोदी के ब्लॉग में 'दुख और व्यथा' एक ऐसे श्रोता के लिए थी जिनकी सहानुभूति मई, 2014 में महत्वपूर्ण होगी।

उन्होंने कहा कि दर्द हृदय को छू जाने वाला, स्वत: और ऐसी भावना होती है जिसे बिना जोड़-घटाव के जाहिर किया जाता है।

उन्होंने कहा, 'दर्द 11 साल के मौन के बाद देर से प्रतिक्रिया कभी नहीं हो सकती। और एक व्यक्ति जो मौन में कष्ट झेलता है वह 11 साल तक मौन नहीं रह सकता। मैं अपनी टिप्पणी में स्वार्थी नहीं होना चाहता, मैं बेईमान नहीं हो सकता। मुक्ति का यह कृत्य हमें असली मोदी से नहीं जोड़ता है।'

सिब्बल गुजरात के मुख्यमंत्री की ओर से लिखे गए एक ब्लॉग पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा कि वह 2002 के दंगा मामलों में स्थानीय अदालत द्वारा क्लीनचिट दिए जाने से वह 'मुक्त और शांति महसूस' कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया था कि हत्याओं के लिए दोषरोपण से वह 'टूट' चुके थे।

मोदी इस मुद्दे पर एक दशक से अधिक समय तक मीडिया की पूछताछ से बचते रहे और दंगों के लिए कभी माफी नहीं मांगी। उन्होंने अपने ब्लॉग में कहा था कि वह दंगों से भीतर तक हिल गए थे।

मोदी के ब्लॉग का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने आश्चर्य जताया कि किस भाई और बहन का गुजरात के मुख्यमंत्री उल्लेख कर रहे थे जब वह अपने निजी दर्द के बारे में बात कर रहे थे।

सिब्बल ने कहा कि जिन लोगों ने अपने भाइयों और बहनों को खो दिया उन्हें मरहम की जरूरत थी और वह भी दंगों के तुरंत बाद।

सिब्बल ने कहा, '11 साल काफी देर है।' मोदी के ब्लॉग के जवाब में अपने लेख में सिब्बल ने कहा कि पीड़ितों की खौफनाक अग्निपरीक्षा पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, न कि मोदी की अग्निपरीक्षा पर। धर्मग्रंथ का ज्ञान मोदी को 2002 में होना चाहिए था, न कि 2013 में।

सिब्बल ने कहा, 'जो एकांत में योजना बनाते हैं वे कभी भी एकांत में दर्द महसूस नहीं करते। न्यूटन के गति के नियम में विश्वास करने वाले लोग प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए 11 साल के लिए इंतजार नहीं करते।'

सिब्बल ने कई सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि 'दर्द' तब कहां था जब गुजरात सरकार ने उन लोगों का बचाव किया, जो अब दोषी साबित हो चुके हैं।

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सिब्बल ने पूछा, 'दर्द तब कहां था जब उनकी (दोषियों की) बेगुनाही के बारे में अदालतों में हलफनामा दायर किया गया था। दर्द तब कहां था जब असमर्थनीय लोगों का बचाव करने के लिए वकीलों को भुगतान किया गया। दर्द तब कहां था जब राज्य उन लोगों की मदद करने के लिए नहीं आया जो मदद के लिए कराह रहे थे। दर्द तब कहां था जब लोग न्याय मांग रहे थे लेकिन उन्हें ठंड में छोड़ दिया गया था। दर्द तब कहां था जब आरोपियों के खिलाफ अदालत में मुकदमा चलाया जा रहा था तो राज्य उनके हलफनामे को तय करने के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रहा था।'