कोरोना की महामारी झेलने के बाद हालात अब कुछ बेहतर होने लगे हैं
Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस की मार झेल रहे देश में मई में श्रमिकों की उपलब्धता (Labour market) की स्थिति में सुधार हुआ क्योंकि कई लोग काम पर लौट आए. थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने मंगलवार को कहा कि इसके बावजूद बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत की उच्च दर पर रही. सीएमआईई ने कहा कि मई में कुल 2.1 करोड़ नौकरियां जोड़ी गईं और श्रम भागीदारी दर (Labour Participation Rate) में काफी सुधार हुआ. कोरोना वायरस की महामारी को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद पांचवें चरण में प्रवेश करने के एक दिन बाद यह डाटा सामने आए हैं.
मामले से जुड़ीं 10 बातें...
- अप्रैल में लेबर मार्केट छोड़ने वाले कई लोग मई में वापस आ गए. मुंबई स्थित थिंक-टैंक के महेश व्यास के अनुसार, बड़े पैमाने पर नौकरी छूटने के कारण अप्रैल में श्रम बाजार को छोड़ चुके लोगों ने खुद को निष्क्रिय कर लिया था."
- उन्होंने कहा कि मई माह में इनमें से कई लोग वापस आ गए और सक्रिय रूप से नौकरियों की तलाश में थे.
- CMIE ने कहा कि पिछले माह नौकरियों में 2.1 करोड़ की वृद्धि देखने को मिली, पिछले महीने की तुलना में ग्रोथ 7.5 फीसदी बढ़ी.छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मजदूरों की नौकरियों में 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
- देश की बेरोजगारी दर मई 2020 में 23.5 प्रतिशत थी. पिछले माह में यही दर दर्ज की गई थी. वैसे CMIE के अनुसार, श्रम भागीदारी दर (labour participation rate) 35.6 प्रतिशत से सुधरकर 38.2 प्रतिशत पहुंच गया. इसी तरह रोजगार दर सुधार दर्शाते हुए 27.2 प्रतिशत से 29.2 प्रतिशत तक पहुंच गया.
- महेश व्यास के अनुसार, हालांकि, लेबर मार्केट मैट्रिक्स ने अप्रैल की तुलना में मई में सुधार के संकेत दिए लेकिन लेबर मॉर्केट के हालात अभी भी लॉकडाउन से पहले की तुलना में बहुत कमजोर बने हुए हैं.
- उन्होंने अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियों के लगातार 'नुकसान' पर चिंता जताई. व्यास ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, "वेतनभोगी नौकरियों को हासिल करना कठिन होता है. लॉकडाउन के दौरान गंवाई ऐसी नौकरियों को फिर से हासिल करना अधिक कठिन होता है."
- इस बीच, अर्थशास्त्रियों के ग्रुप ने COVID-19 के प्रकोप से हुए नुकसान के कारण मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक गतिविधियों के लिए अपने अनुमानों को 'कम' किया है जबकि कुछ ने वर्षों में सबसे खराब मंदी की चेतावनी दी है.
- कोरोना वायरस के कारण आर्थिक विकास 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बीमार अर्थव्यवस्था पर महामारी का वास्तविक प्रभाव जून माह वाली तिमाही में दिखेगा.
- पिछले हफ्ते जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ने जनवरी-मार्च में 3.1 प्रतिशत का विस्तार किया, जो विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों पर COVID-19 लॉकडाउन के आंशिक प्रभाव को दर्शाता है.
- सोमवार को, मूडीज ने एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि, बढ़ते कर्ज और वित्तीय प्रणाली के कुछ हिस्सों में लगातार तनाव का हवाला देते हुए भारत की क्रेडिट रेटिंग को ‘Baa2' से घटाकर ‘Baa3' कर दिया है. साथ ही एजेंसी ने देश के लिए निगेटिव आउटुलक बरकरार रखा है.