यह ख़बर 11 अगस्त, 2014 को प्रकाशित हुई थी

हाईकोर्ट के जज के ख़िलाफ़ सबूत होने के बावजूद तत्कालीन सीजेआई ने कार्रवाई नहीं की : काटजू

नई दिल्ली:

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के आरोपों का एक नया मामला सामने आया है। जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने आरोप लगाया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज के ख़िलाफ़ पुख़्ता सबूत होने के बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की।

काटजू ने आरोप लगाया है कि हाईकोर्ट के एक जज के ख़िलाफ कई शिकायत मिलने के बाद चीफ जस्टिस ने इसकी तहकीकात कार्रवाई। दरअसल इस जज को देश के किसी हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाने की बात चल रही थी।

काटजू ने लिखा है कि जांच के बाद जस्टिस कपाड़िया ने यह पाया कि आरोपी जज भ्रष्टाचार में शामिल हैं। बावजूद इसके उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई। हांलाकि, उन्हें फिर किसी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस भी नहीं बनाया गया।

जस्टिस काटजू के मुताबिक इस मामले में होना यह चाहिए था कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को आरोपी जज से इस्तीफ़ा मांगना चाहिए था और इस्तीफ़ा नहीं देने पर महाभियोग के लिए उनके नाम को राष्ट्रपति के पास भेजना चाहिए था।

काटजू ने अपने ब्लॉग में यह भी लिखा है कि जब वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस थे तब पांच जजों के ख़िलाफ़ उन्होंने उस समय के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया लाहोटी के पास सबूतों के साथ शिकायत की थी।

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जस्टिस काटजू का कहना है कि  उन जजों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तो ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन उनके ख़िलाफ़ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। काटजू के मुताबिक जस्टिस लाहोटी ने यह कहते हुए कार्रवाई नहीं कि अगर जज के ख़िलाफ कार्रवाई होती है तो नेताओं की नज़र में न्यायपालिका की इज्जत कम होगी।
 
जस्टिस काटजू पहले भी कई जजों के ख़िलाफ़ भ्रष्टचार के आरोप लगा चुके हैं।