विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस सरकार के 100 दिन पूरे होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की और मंत्रालय की उपलब्धियों का ब्यौरा दिया. इस दौरान उनसे अमेरिका, पाकिस्तान और कश्मीर से जुड़े सवाल पूछे गए. अमेरिका से तनाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका रिश्तों ने लंबा रास्ता तय किया है. पिछले बीस सालों में सुरक्षा, व्यापार और लोगों की आवाजाही में अलग- अलग, सरकारों के तहत रिश्ते बेहतर ही हुए हैं. रिश्ते बढ़िया हैं, संतोषजनक हैं और बेहतर ही होंगे. जहां तक व्यापार के मुद्दों को लेकर तनाव की बात है तो तनाव बिल्कुल नहीं तभी हो सकता है जब व्यापार ही ना हो. व्यापार है तो थोड़ा बहुत तनाव तो होगा. पिछले 10 दिनों में भी हम उनसे बात करते रहे हैं और उम्मीद ये है कि ऐसा हल निकालेंगे जो दोनों के लिए कारगर हो.
विदेश मंत्री ने कहा कि वो गिलास खाली की जगह 90 फीसदी भरा देखते हैं. ह्यूस्टन के मोदी के जन समारोह का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ये तीसरी बार है कि अमेरिका में पीएम का इस तरह का बड़ा कार्यक्रम हो रहा है. ये असल में भारत और भारतीय अमेरिकियों की उपलब्धियों का असर है. हम मानते हैं कि ये कार्यक्रम भी बहुत सफल होगा. राष्ट्रपति ट्रंप का इस कार्यक्रम में शामिल होना सम्मान की बात है और उनका बहुत स्वागत है. पूरी दुनिया की नज़र इस पर होगी. और ये भी बताता है कि भारतीय-अमरीकियों और भारत ने क्या हासिल किया है. पाकिस्तान जो चाहे वो समझ सकता है.
कुछ अमेरिकी सांसदों के कश्मीर में तथाकथित मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में चिट्ठी लिखने पर उन्होंने कहा कि कई बार लोग उनके पास जाकर उन्हें कुछ लिखने को कहते हैं, जरूरी नहीं कि उन्हें विषय के बारे में पूरी जानकारी हो. उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका में कोई मुझसे कश्मीर के बारे में पूछे तो मैं पूछूंगा कि आपके देश ने भी आतंक का सामना किया है, अलगावाद का सामना किया है, फिर आपने क्या किया? कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है. 370 स्थायी नहीं था. हम जो 30 साल से कर रहे थे वह कारगर नहीं हुआ, अब ये नया करके देखते हैं. और तो और पाक अधिकृत कश्मीर भी हमारा है और एक न एक दिन हमारे पास होगा.
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जहां तक 370 का सवाल है, पाकिस्तान के साथ ये मुद्दा है ही नहीं. दुनिया को ये समझना चाहिए कि पाकिस्तान का मुद्दा आतंक का मुद्दा है. पहले आतंक पर बात हो. ऐसा कौन सा देश है जो पड़ोसी देश के साथ आतंक को विदेश नीति के तौर पर इस्तेमाल करता हो? पाकिस्तान के साथ समस्या ये भी है कि वो बात तो बहुत करता है लेकिन आतंक पर कार्रवाई नहीं करता. सार्क के भी कारगर होने में समस्या कौन सा देश है सब को पता है. पाकिस्तान में अगर आप अल्पसंखयको की स्थिति देखें तो न सिर्फ सिंध (जहां पिछले दिनों मंदिर तोड़े गए हैं), सिख लड़की का अपहरण हुआ है और 70 सालों में संख्या ऐसी घटी है कि वो अब उनकी रिपोर्ट तक नहीं छापते.
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कुलभूषण से आखिर शर्तों के साथ ही मुलाकात के बारे में विदेश मंत्री ने ये साफ किया कि तीन बाते थीं- एक- पता करना कि वो किस हाल में हैं, दो- ICJ का फैसला लागू हो और तीन - उन्हें वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हो. तो इसमें कुलभूषण की हालत को तरजीह दी गई और आखिर मुलाकात की गई. जब UNGA के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और पीएम मोदी की मुलाकात की संभावना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रिश्ते में जो माहौल बना हुआ है वो देखें (और खुद समझ लें).
VIDEO : विदेश मंत्री ने गिनाईं भारत की उपलब्धियां
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