प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
बात चाहे दिल्ली की हो या फिर कानपुर की या फिर मद्रास की, गुरुवार को पूरे देश में ट्रकों के पहिए थमे रहे। ट्रकों के चक्का जाम होने की वजह ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस का ऐलान है। इसमें कहा गया है कि जब तक सरकार टोल सिस्टम और ट्रांसपोर्टरों को लगने वाले टीडीएस को खत्म नही करती तब यह अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल से सरकार को प्रतिदिन 10 से 12 हजार करोड़ का नुकसान होगा।
गडकरी की ट्रांसपोर्टरों से बातचीत विफल
केन्द्रीय ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी से ट्रांसपोर्टरों की बातचीत बुधवार को विफल रही और आज खबर लिखे जाने तक कोई समाधान नहीं निकला है। ट्रांसपोर्टरों की मानें तो सरकार को हर साल टोल टैक्स से 14,157 करोड़ की आमदनी होता है, जबकि ट्रांसपोर्टर सरकार को सलाना 15,000 करोड़ देने को तैयार हैं और बदले में सारे टोल बैरियर हटाने की मांग कर रहे हैं।
आईआईएम कोलकाता ने 2011 में एक स्टडी में पाया कि टोल बैरियर की वजह से हर साल 87000 करोड़ का आर्थिक नुकसान होता है। 87000 करोड़ रुपए से 6000 करोड़ रुपए का ईंधन और 27000 रुपए करोड़ देरी के कारण नुकसान होता है।
बैरियर हटने से आम नागरिकों को भी फायदा
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि टोल बैरियर हटाने से आम लोगों को भी काफी फायदा होगा। उनका यह भी कहना है कि उन्हें अपने व्यापार में डेढ़ फीसदी फायदा होता है जबकि ढाई फीसदी टीडीएस चुकाना पड़ता है, लेकिन उसे वापस लेने में पसीने छूट जाते हैं। उनका सरकार पर आरोप है कि सरकार एक लीटर डीजल पर छह रुपए सड़क के विकास के लिए लेती है लेकिन सड़क पर खर्च न के बराबर किया जाता है।
देश भर में करीब 87 लाख ट्रक हैं और उनकी हड़ताल का असर सीधा आम लोगों को सप्लाई होने वाली चीजों पर पड़ रहा है। हालांकि हड़ताल से जरूरी चीजों को दूर रखा गया है। वैसे एक दिन की हड़ताल से सरकार को रोजाना करीब 10-12 हजार करोड़ और ट्रांसपोर्टर को खुद डेढ़ हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
गडकरी की ट्रांसपोर्टरों से बातचीत विफल
केन्द्रीय ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी से ट्रांसपोर्टरों की बातचीत बुधवार को विफल रही और आज खबर लिखे जाने तक कोई समाधान नहीं निकला है। ट्रांसपोर्टरों की मानें तो सरकार को हर साल टोल टैक्स से 14,157 करोड़ की आमदनी होता है, जबकि ट्रांसपोर्टर सरकार को सलाना 15,000 करोड़ देने को तैयार हैं और बदले में सारे टोल बैरियर हटाने की मांग कर रहे हैं।
आईआईएम कोलकाता ने 2011 में एक स्टडी में पाया कि टोल बैरियर की वजह से हर साल 87000 करोड़ का आर्थिक नुकसान होता है। 87000 करोड़ रुपए से 6000 करोड़ रुपए का ईंधन और 27000 रुपए करोड़ देरी के कारण नुकसान होता है।
बैरियर हटने से आम नागरिकों को भी फायदा
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि टोल बैरियर हटाने से आम लोगों को भी काफी फायदा होगा। उनका यह भी कहना है कि उन्हें अपने व्यापार में डेढ़ फीसदी फायदा होता है जबकि ढाई फीसदी टीडीएस चुकाना पड़ता है, लेकिन उसे वापस लेने में पसीने छूट जाते हैं। उनका सरकार पर आरोप है कि सरकार एक लीटर डीजल पर छह रुपए सड़क के विकास के लिए लेती है लेकिन सड़क पर खर्च न के बराबर किया जाता है।
देश भर में करीब 87 लाख ट्रक हैं और उनकी हड़ताल का असर सीधा आम लोगों को सप्लाई होने वाली चीजों पर पड़ रहा है। हालांकि हड़ताल से जरूरी चीजों को दूर रखा गया है। वैसे एक दिन की हड़ताल से सरकार को रोजाना करीब 10-12 हजार करोड़ और ट्रांसपोर्टर को खुद डेढ़ हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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