प्रतीकात्मक फोटो
इंदौर:
मध्य प्रदेश में हुए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की लड़ाई लड़ रहे चिकित्सक डॉ.आनंद राय और उनकी पत्नी गौरी राय के तबादले के मामले में राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई है और उसने अब अपने ही आदेश वापस ले लिए हैं। सरकार की ओर से यह जानकारी शुक्रवार को उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में दी गई है।
डॉ. राय के अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया है कि शुक्रवार को डॉ. राय और उनकी पत्नी के तबादले को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई थी। इस दौरान न्यायमूर्ति डी. के. पालीवाल व न्यायमूर्ति पी. के. जायसवाल की युगलपीठ को सरकार की ओर से बताया गया कि दोनों के स्थानांतरण आदेश वापस ले लिए गए हैं और उन्हें इंदौर पदस्थ किया जाएगा।
अधिवक्ता तन्खा ने आगे बताया है कि सरकार की ओर से दोनों के लंबित वेतन देने की बात भी न्यायालय के समक्ष कही गई है। इस तरह अब यह मामला खत्म हो गया है। ज्ञात हो कि डॉ. राय व्यापमं के खिलाफ लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। इसी बीच उनका और उनकी पत्नी डॉ. गौरी राय का धार तबादला कर दिया गया था। डॉ. राय ने इसके खिलाफ याचिका दायर कर इन तबादलों को द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताया था। न्यायालय ने तबादलों पर स्थगन दे दिया था।
डॉ. राय ने इसी दौरान न्यायालय को एक शपथ-पत्र देकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर अपने आवास पर मुलाकात कर प्रलोभन देने का आरोप लगाया था। शपथ-पत्र में कहा गया था कि चौहान ने उन्हें अपने आवास पर बुलाया और एक घंटे तक चर्चा की। इस चर्चा में उन्हें प्रलोभन दिया गया कि अगर वे व्यापमं को लेकर चलाए जा रहे अभियान से उनका (चौहान) व परिवार का नाम हटा देते हैं तो उनका तबादला निरस्त कर दिया जाएगा।
डॉ. राय के अधिवक्ता विवेक तन्खा ने बताया है कि शुक्रवार को डॉ. राय और उनकी पत्नी के तबादले को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई थी। इस दौरान न्यायमूर्ति डी. के. पालीवाल व न्यायमूर्ति पी. के. जायसवाल की युगलपीठ को सरकार की ओर से बताया गया कि दोनों के स्थानांतरण आदेश वापस ले लिए गए हैं और उन्हें इंदौर पदस्थ किया जाएगा।
अधिवक्ता तन्खा ने आगे बताया है कि सरकार की ओर से दोनों के लंबित वेतन देने की बात भी न्यायालय के समक्ष कही गई है। इस तरह अब यह मामला खत्म हो गया है। ज्ञात हो कि डॉ. राय व्यापमं के खिलाफ लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। इसी बीच उनका और उनकी पत्नी डॉ. गौरी राय का धार तबादला कर दिया गया था। डॉ. राय ने इसके खिलाफ याचिका दायर कर इन तबादलों को द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताया था। न्यायालय ने तबादलों पर स्थगन दे दिया था।
डॉ. राय ने इसी दौरान न्यायालय को एक शपथ-पत्र देकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर अपने आवास पर मुलाकात कर प्रलोभन देने का आरोप लगाया था। शपथ-पत्र में कहा गया था कि चौहान ने उन्हें अपने आवास पर बुलाया और एक घंटे तक चर्चा की। इस चर्चा में उन्हें प्रलोभन दिया गया कि अगर वे व्यापमं को लेकर चलाए जा रहे अभियान से उनका (चौहान) व परिवार का नाम हटा देते हैं तो उनका तबादला निरस्त कर दिया जाएगा।
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