बेंगलुरु : बेंगलुरु शहर से हवाई अड्डे जाने के रास्ते में बंद पड़े बेट्टाअलसूर खदान में डूब कर पिछले दो सालों में 22 लोगों की जानें गयी हैं, इनमे वो पांच इंजीनियरिंग के छात्र भी शामिल हैं जिनकी गुरुवार को डूबने से मौत हुई थी।
तीन दशकों तक इस जगह पर पहाड़ को काट-काट कर अरबों रुपये का कारोबार व्यापारियों ने किया लेकिन पिछले दो सालों से ये बंद है। बड़े पैमाने पर किये गये खनन की वजह से तक़रीबन 200 फ़ीट गहरा एक बड़े झील के आकार का गड्डा यहां बन गया है।
बारिश का पानी इस गड्ढे को एक खूबसूरत झील में बदल देता है। आसपास का कचरा और लंबे अरसे से जमा पानी रासायनिक प्रक्रियाओं की वजह से ज़हरीला हो कर हरा हो गया है। इसमें बारिश के दिनों में 80 से 100 फ़ीट गहराई में पानी जमा हो जाता है।
यहां आने वाले छात्र और दूसरे लोग बोर्ड्स पर दी गयी चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और यहां तैरने की कोशिश उन्हें जानलेवा साबित होती है।
असपास घेरा नहीं होने की वजह से कई लोग ऊपर से इसमें गिर गए और फिर गहरे और ज़हरीले पानी ने उन्हें मौत के मुंह में पहुंचा दिया।
बेंगलुरु पुलिस के डीसीपी विकास कुमार ने बताया कि पुलिस की तरफ से इस बंद पड़े जानलेवा खदान को चारों तरफ से घेरने या फिर भर कर बंद करने की सिफारिश की गयी है और जल्द ही इसपर सिविल प्रशासन कार्रवाई करेगा।
वैसे बेंगलुरु के इस देवनहल्ली इलाक़े और इससे सटे यलहंका में इस तरह के कई गहरे और खतरनाक खदानें हैं। वो भी खुले हैं। जबकि सरकारी नियमों के मुताबिक़ काम पूरा होने के बाद इन्हें भरने की ज़िम्मेदारी खनन करने वाली कंपनी की है और साथ ही रास्ट्रीय राजमार्ग के इर्दगिर्द इस तरह के खनन की इजाज़त नहीं दी जा सकती है। लेकिन बेट्टा अलसूर की इस खदान में दोनों ही नियमों का सीधा उल्लंघन होता दिख रहा है। ज़ाहिर है सरकारी महकमे की मिलीभगत के बगैर ये संभव नहीं है।
तीन दशकों तक इस जगह पर पहाड़ को काट-काट कर अरबों रुपये का कारोबार व्यापारियों ने किया लेकिन पिछले दो सालों से ये बंद है। बड़े पैमाने पर किये गये खनन की वजह से तक़रीबन 200 फ़ीट गहरा एक बड़े झील के आकार का गड्डा यहां बन गया है।
बारिश का पानी इस गड्ढे को एक खूबसूरत झील में बदल देता है। आसपास का कचरा और लंबे अरसे से जमा पानी रासायनिक प्रक्रियाओं की वजह से ज़हरीला हो कर हरा हो गया है। इसमें बारिश के दिनों में 80 से 100 फ़ीट गहराई में पानी जमा हो जाता है।
यहां आने वाले छात्र और दूसरे लोग बोर्ड्स पर दी गयी चेतावनी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और यहां तैरने की कोशिश उन्हें जानलेवा साबित होती है।
असपास घेरा नहीं होने की वजह से कई लोग ऊपर से इसमें गिर गए और फिर गहरे और ज़हरीले पानी ने उन्हें मौत के मुंह में पहुंचा दिया।
बेंगलुरु पुलिस के डीसीपी विकास कुमार ने बताया कि पुलिस की तरफ से इस बंद पड़े जानलेवा खदान को चारों तरफ से घेरने या फिर भर कर बंद करने की सिफारिश की गयी है और जल्द ही इसपर सिविल प्रशासन कार्रवाई करेगा।
वैसे बेंगलुरु के इस देवनहल्ली इलाक़े और इससे सटे यलहंका में इस तरह के कई गहरे और खतरनाक खदानें हैं। वो भी खुले हैं। जबकि सरकारी नियमों के मुताबिक़ काम पूरा होने के बाद इन्हें भरने की ज़िम्मेदारी खनन करने वाली कंपनी की है और साथ ही रास्ट्रीय राजमार्ग के इर्दगिर्द इस तरह के खनन की इजाज़त नहीं दी जा सकती है। लेकिन बेट्टा अलसूर की इस खदान में दोनों ही नियमों का सीधा उल्लंघन होता दिख रहा है। ज़ाहिर है सरकारी महकमे की मिलीभगत के बगैर ये संभव नहीं है।
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बेंगलुरु, ज़हरीले पानी से भरी खदान, इंजीनियरिंग के छात्र डूबे, बेट्टाअलसूर खदान, Five Engineering Students Drowned, Abandoned Quarry, No-entry Zone