सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मुकदमें की सुनवाई कर रहे जज बी एच लोया की संदिग्ध मौत का मुद्दा एक बार फिर से गरमाता दिख रहा है. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन होते ही कांग्रेस ने जज लोया की संदिग्ध मौत की जांच फिर से कराने की मांग करनी शुरू कर दी है. सवाल है जब सुप्रीम कोर्ट पहले स्वतंत्र जांच की मांग खारिज कर चुकी है तो क्या राज्य सरकार फिर से जांच का आदेश दे सकती है? जज लोया की मौत साल 2014 में हुई थी लेकिन साल 2017 में एक पत्रिका में छपी रिपोर्ट के बाद जज लोया की मौत पर सवाल उठा.
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मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन राज्य सरकार ने जांच में कुछ भी गलत नही मिलने का दावा किया. अदालत ने भी स्वतंत्र जांच की मांग खारिज कर दी लिहाजा बात आई गई हो गई. पर अब राज्य में बीजेपी की सत्ता जाते ही जज लोया की संदिग्ध मौत की जांच की मांग ने फिर से जोर पकड़ना शुरू कर दिया है. सवाल है क्या फिर से जांच की जा सकती है ? राज्य में अब शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार है. शिवसेना-बीजेपी की दोस्ती टूट चुकी है. बावजूद इसके शिवसेना अभी खुलकर जवाब ना देकर बता रही है कि सबकुछ अभी अधर में है.
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ये मामला फिर से सुर्खियों में आ सकता है क्योंकि जज लोया सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के जज थे और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मामले में आरोपी थे. हालांकि बाद में अमित शाह बरी हो गए. राजनीतिक दलों में एक दूसरे को पटखनी देने की होड़ लगी रहती है, इसके लिए वो अलग अलग मुद्दों का इस्तेमाल करते रहते हैं. डर है कि जज लोया की संदिग्ध मौत का मामला भी सिर्फ राजनीतिक हथियार बनकर ना रह जाए.
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