नई दिल्ली:
भारतीय नौसेना में करीब 60 साल की सेवा के बाद विमान वाहक पोत विराट अपने अंतिम ऑपरेशनल मिशन के लिए निकल पड़ा है। ये पोत मुबंई से 18 दिसंबर को रवाना हुआ और फिर गोवा पहुंचा। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लेने के लिए विशाखापत्तनम के लिए निकल पड़ा। इस फ्लीट रिव्यू में करीब 50 देशों की नौसेना के सौ से ज्यादा युद्धपोत हिस्सा लेंगे।
विशाखापत्तनम में होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय रिव्यू में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल होंगे। इसके जरिये हिंद महसागर में नौसेना दुनिया को अपनी ताकत दिखाएगी। इसके बाद विराट किसी ऑपरेशनल कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेगी और फिर संभावना है कि इसे इस साल के अंत तक या फिर अगले साल रिटायर कर दिया जाए। ध्यान रहें दुनिया में किसी भी विमानवाहक पोत ने इतनी लंबी सेवा नहीं दी है।
नौसेना में विराट को 12 मई 1987 को शामिल किया गया था। इससे पहले विराट ब्रिट्रेन की रॉयल नेवी में एचएमएस हर्मिस के नाम से था जहां इसने अर्जेंटीना के खिलाफ फॉकलैंड युद्ध में हिस्सा लिया था। भारत लाए जाने से पहले इस जहाज ने पहले 30 साल तक ब्रिटिश नौसेना की सेवा की थी।
करीब 1200 अधिकारी और नौसैनिक विराट पर हमेशा तैनात रहते हैं। जब ये अपने अंतिम ऑपरेशनल सफऱ में निकला है तब भी इस पर 6 सी हैरियर लड़ाकू विमान, चार चेतक और छह सी किंग हेलीकॉप्टर तैनात है। हाल के दिनों में पुराने और स्पेयर पार्ट्स के अभाव में कई सी हैरियर हादसे का शिकार हुए लेकिन इसकी क्षमता पर कभी सवाल नहीं उठा। ये दुनिया में अपनी तरह इकलौता लड़ाकू विमान है जो विमान वाहक पोत वर्टिकल लैडिंग करता है और मात्र 100 मीटर से कम रनवे पर टेक ऑफ भी कर जाता है।
वैसे देश के पहले विमान वाहक पोत विक्रांत के रिटायर होने के बाद म्यूजिम में बदलने के लिए किसी भी राज्य से 18 सालों तक किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली और यही वजह रही कि यह बेकार हो गया। उम्मीद है कि जो विक्रांत के साथ हुआ अब वैसा हाल विराट के साथ ना हो।
विशाखापत्तनम में होने वाले इस अंतरराष्ट्रीय रिव्यू में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शामिल होंगे। इसके जरिये हिंद महसागर में नौसेना दुनिया को अपनी ताकत दिखाएगी। इसके बाद विराट किसी ऑपरेशनल कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेगी और फिर संभावना है कि इसे इस साल के अंत तक या फिर अगले साल रिटायर कर दिया जाए। ध्यान रहें दुनिया में किसी भी विमानवाहक पोत ने इतनी लंबी सेवा नहीं दी है।
नौसेना में विराट को 12 मई 1987 को शामिल किया गया था। इससे पहले विराट ब्रिट्रेन की रॉयल नेवी में एचएमएस हर्मिस के नाम से था जहां इसने अर्जेंटीना के खिलाफ फॉकलैंड युद्ध में हिस्सा लिया था। भारत लाए जाने से पहले इस जहाज ने पहले 30 साल तक ब्रिटिश नौसेना की सेवा की थी।
करीब 1200 अधिकारी और नौसैनिक विराट पर हमेशा तैनात रहते हैं। जब ये अपने अंतिम ऑपरेशनल सफऱ में निकला है तब भी इस पर 6 सी हैरियर लड़ाकू विमान, चार चेतक और छह सी किंग हेलीकॉप्टर तैनात है। हाल के दिनों में पुराने और स्पेयर पार्ट्स के अभाव में कई सी हैरियर हादसे का शिकार हुए लेकिन इसकी क्षमता पर कभी सवाल नहीं उठा। ये दुनिया में अपनी तरह इकलौता लड़ाकू विमान है जो विमान वाहक पोत वर्टिकल लैडिंग करता है और मात्र 100 मीटर से कम रनवे पर टेक ऑफ भी कर जाता है।
वैसे देश के पहले विमान वाहक पोत विक्रांत के रिटायर होने के बाद म्यूजिम में बदलने के लिए किसी भी राज्य से 18 सालों तक किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली और यही वजह रही कि यह बेकार हो गया। उम्मीद है कि जो विक्रांत के साथ हुआ अब वैसा हाल विराट के साथ ना हो।
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