असम में घुसपैठ रोकने का मुद्दा बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती

असम में घुसपैठ रोकने का मुद्दा बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती

सर्वानंद सोनोवाल (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

सर्वानंद सोनोवाल 24 तारीख को असम में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। लेकिन इसके बाद उनकी असली चुनौती शुरू होगी। बीजेपी ने असम में घुसपैठ को मुद्दा बनाया है, सवाल है, क्या बीजेपी अपने वादे पर अमल कर पाएगी?

असम में पहली बार बीजेपी को मिली जीत का जश्न खूब चला। अब सबकी निगाहें नए मुख्यमंत्री सोनोवाल पर हैं जिनका वादा है कि वे असम में अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सीमा सील करेंगे और मौजूदा घुसपैठियों से भी सख्ती से निपटेंगे। संघ परिवार अपना एजेंडा लेकर तैयार है।

गुवाहाटी में आरएसएस के प्रांतीय प्रचार प्रमुख शंकर दास ने एनडीटीवी से कहा, "नई बीजेपी सरकार को विदेशी घुसपैठियों की पहचान करनी होगी। वोटर लिस्ट से उनका नाम हटाना होगा। बांग्लादेशी घुसपैठिया किंगमेकर हो गया है। नई सरकार को नागरिक पंजीकरण की प्रक्रिया में सालों से सुधार नहीं किया गया। इसमें सुधार का काम करना चाहिए।"

अब सवाल भारत-बांग्लादेश सीमा सील करने का है। बीजेपी अगले 7 महीनों में यह काम कर लेने का दावा कर रही है। बीजेपी महासचिव राम माधव ने एनडीटीवी से कहा, "अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए कदम उठाना है सरकार को। गृह मंत्री ने वादा किया है कि इस साल के अंत तक सीमा सील कर दी जाएगी। एनआरसी पूरा करना बेहद जरूरी है।"

उधर कांग्रेस बीजेपी पर एक संवेदनशील मसले पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई कहते हैं, "इस मुद्दे का राजनीतिक वजहों से दुरुपयोग किया गया है। वे समाज में विभाजन करना चाहते हैं। उनका निशाना गैर-कानूनी घुसपैठ पर नहीं है। वे एक विशेष धर्म के लोगों को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं।" सीमा सील करना आसान है और न ही मौजूदा सूचियों में फेरबदल। इस सवाल पर असम में पहले भी टकराव चलता रहा है।


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