तेलंगाना बोर्ड का परिणाम घोषित होने के कुछ ही घंटे बाद हाईस्कूल की छात्रा अनामिका अरुतला ने इसलिए आत्महत्या कर ली थी कि वह तेलुगू विषय में पास नहीं हो सकी थी. उसे 20 नंबर मिले थे लेकिन परीक्षा में अंकों को लेकर आए गड़बड़ी के तमाम मामले सामने आने के बाद जब उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन किया गया तो अनामिका पास हो गई. अब उसे 48 नंबर मिले. लेकिन अब एक बार फिर तेलंगाना बोर्ड ऑफ इंटमीडिएट एग्जामिनेशन का कहना है कि अनामिका के नंबर गलत चढ़ गए थे दरअसल उसके नंबर सिर्फ 21 ही हैं और वह फेल है. बोर्ड ने लिखित में बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी है. वहीं अनामिका की बहन उदया ने बार-बार हो रही इस गलती के लिए बोर्ड और सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
उदया ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ये आत्महत्या नहीं बल्कि सरकार द्वारा कराई गई हत्या है. यह सरकार और बोर्ड की गलती है. उदया ने कहा कि पहले बोर्ड की ओर से कहा गया था कि रिजल्ट में कोई खामी नहीं है. छात्र की ही गलती है कि उसने पढ़ाई अच्छे से नहीं की, लेकिन अब सब सामने है कि किसकी गलती है.
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बता दें तेलंगाना में इस साल 9.7 लाख छात्रों हाइस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी और इनमें से करीब 3.28 लाख छात्र फल हो गए थे. 18 अप्रैल को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट जारी होने के बाद कई छात्रों और अभिभवकों की ओर से नंबर में खामियों का मामला उठाया गया था. इतना ही नहीं रिजल्ट घोषित होने के बाद 26 बच्चों ने आत्महत्या कर ली थी. अनामिका भी उनमें से ही एक थी. बाद में तेलंगाना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जब कापियां दोबारा जांची गईं तो उसमें 1137 छात्र पास निकले.
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राज्य सरकार ने इस मामले में परीक्षा आयोजित कराने के लिए डाटा संभालने वाली कंपनी ग्लोबरेना टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड की अक्षमता की ओर इशारा किया है. वहीं विपक्षी दलों ने कथित तौर पर आरोप लगाया कि 9.78 लाख बच्चों की उत्तर पुस्तिकाओं को हैंडल करने के मामले में टेंडर लेने वाली कंपनी को एक्सपीरियंस के आधार पर ढील दी गई है. इसलिए इस तरह की गड़बड़ियां सामने आई हैं.
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विपक्षी पार्टियों ने इन गड़बड़ियों के लिए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस ने केसीआर को पत्र लिखकर बोर्ड सचिव को निलंबित करने के साथ ही आत्महत्या करने वाले छात्रों को 25 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर देने की मांग की है.
तेलंगाना के बीजेपी प्रमुख लक्ष्मण ने एनडीटीवी से कहा,'हम इस मामले में एक न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं. यह एक बहुत बड़ा घोटाला है. जिस कंपनी को एंड-टू-एंड तकनीकी सहायता के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, वह 9.7 लाख बच्चों के भविष्य को संभालने के लिए योग्य नहीं थी.'
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