तमिलनाडु के तिरुपुर में 2016 में हुई ऑनर किलिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट द्वारा बरी किए गए चिन्नास्वामी के फैसले पर विचार करेगा. इसके लिए चिन्नास्वामी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट ने कौशल्या के पिता बी. चिन्नास्वामी को इस मामले में आपराधिक साजिश समेत सभी आरोपों से बरी कर दिया था. साथ ही पांच आरोपियों की सजा को फांसी से बदलकर उम्रकैद कर दिया गया था. इस मामले में लडक़ी की मां और दो अन्य लोगों को भी कोर्ट ने बरी किया गया था.
हाईकोर्ट ने बदला था निचली अदालत का फैसला
हाईकोर्ट ने कौशल्या की मां और दो अन्य को बरी किए जाने की भी पुष्टि की. अदालत ने बरी किए गए उन सभी आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया, जिन्हें हिरासत में रखा गया है, अगर किसी अन्य मामले में उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है. लेकिन तमिलनाडु सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, साथ ही चिन्नास्वामी की बेटी ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.
चिन्नास्वामी और अन्य को हत्या के मामले में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. सभी आरोपियों ने इस फैसले के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बदल दिया जिसके तहत कौशल्या के पिता को बरी कर दिया गया, जबकि 5 अन्य लोगों को अब उम्रकैद की सजा काटनी पड़ेगी. दोषियों को न्यूनतम 25 साल की उम्र कैद की सजा सुनाई जिसमें किसी प्रकार की छूट का कोई अधिकार नहीं होगा. फिलहाल घटना के बाद से ही कौशल्या अपने पति के घरवालों के साथ ही रहती है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, वर्ष 2016 के मार्च में उदूमलपेट के कुमारलिंगम निवासी शंकर, जो दलित जाति का था, उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने कौशल्या नाम की लडक़ी से शादी कर ली, जो उच्च जाति की थी. दोनों ने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की थी, जिससे कौशल्या के परिवार वाले काफी नाराज थे. इसके बाद 13 मार्च, 2016 को तीन लोगों ने शंकर को बीच बाजार मौत के घाट उतार दिया. इस हमले में उसकी पत्नी कौशल्या भी बुरी तरह घायल हुई थी. पुलिस ने इस मामले में 11 लोगों को आरोपी बनाया था. जिसमें लडक़ी के मां-बाप भी शामिल थे.
वर्ष 2017 के दिसंबर महीने में मामले में सुनवाई करते हुए तिरुपुर के सेशन कोर्ट ने 22 साल के दलित युवक के संदिग्ध रूप से ऑनर किलिंग के एक मामले में छह लोगों को मौत की सजा सुनाई थी. सेशन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में कौशल्या की मां, चाचा और कॉलेज के एक छात्र को बरी कर दिया था.
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