भारतीय-चीनी सेना के बीच में लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में देश के 20 जवानों ने अपनी जान देश के नाम कुर्बान कर दी है. इन सभी जवानों के घर के साथ-साथ पूरे गांव में मातम पसर गया है. इनमें तमिलनाडु के कडुकलुर गांव के जवान के. पलानी भी शामिल हैं. हवलदार (गनर) पोस्ट पर तैनात के पलानी पिछले 22 सालों से सेना में देश की सेवा कर रहे थे और अगले साल ही वो रिटायर होने वाले थे. उनके परिवारवाले बुधवार को उनके पार्थिव शरीर के गांव पहुंचने का इंतजार कर रहे थे. यहीं उनका अंतिम संस्कार होना है.
जिला कलेक्टर के वीरा राघव राव ने NDTV को बताया कि 'परिवार के पैतृक गांव में कोविड गाइडलाइंस का ध्यान रखते हुए उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. आर्मी की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा.'
वो आखिरी बार साल की शुरुआत में जनवरी महीने में घर आए थे. इसके बाद के महीनों में उनके घर में कई बड़े-बड़े मौके आए, जिसमें वो हिस्सा नहीं ले सके. उनका परिवार रामनाथपुरम जिले के अपने नए घर में शिफ्ट हुआ, तो भी वह गृहप्रवेश में शामिल नहीं हो पाए. वो अगले साल रिटायर होने के बाद यहीं अपनी बाकी की जिंदगी गुजारने वाले थे. उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया, 'वो 12 जून को हुए गृह प्रवेश में नहीं आ पाए, 3 जून को उनका जन्मदिन था, लद्दाख में स्थिति तनावपूर्ण थी, जिसके चलते वो इसके लिए भी वो घर नहीं आ पाए.'
राजस्थान में पोस्टेड उनके फौजी भाई इदायाकनी ने बताया कि वो स्कूल से निकलने के तुरंत बाद आर्मी में भर्ती हो गए थे. उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग से BA की डिग्री ली थी. उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी और एक बेटा है. पलानी चाहते थे कि उनका बेटा भी आर्मी जॉइन करें.
मुख्यमंत्री ईके पलानीसामी, विपक्ष के नेता एमके स्टालिन और कई नेताओं ने अपनी संवेदना जताई है. तमिलनाडु की सरकार ने उनके परिवार को 20 लाख रुपए की राशि और परिवार के किसी एक योग्य सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है.
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