चेन्नई में कोरोनोवायरस (Covid-19) से होने वाली मौतों की संख्या में रातोरात 200 की बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि यह सामने आया है कि शहर के नगर निगम के रिकॉर्ड में मौतें राज्य सरकार को नहीं बताई गई हैं. स्वास्थ्य विभाग ने नौ सदस्यों वाली COVID डेथ रिकंसीलेशन कमेटी पैनल का गठन किया है, जो गणना में एक बड़े बेमेल (mismatch) का पता लगाने के लिए है.चेन्नई कॉरपोरेशन के रिकॉर्ड में दर्ज कम से कम 200 से अधिक मौतों के बारे में स्वास्थ्य विभाग को नहीं बताई गई है. जो कि शहर में कोविड से हुई 279 मौतों के आंकड़ों से दोगुना हो सकती है.
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कई निजी और कुछ सरकारी अस्पतालों ने COVID मौतों की विधिवत जानकारी
स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी है. अधिकारियों ने कहा, 'हालांकि, ये विवरण आमतौर पर एक अवधि में भेजे जाते हैं, महामारी
संकट में, रिपोर्टिंग दैनिक आधार पर की जानी चाहिए थी.'
सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक सेल्वा विनायगम ने NDTV को बताया, "हां। हमने मृत्यु के आंकड़ों के सामंजस्य के लिए समिति का गठन किया है." उन्होंने ठीक-ठीक संख्याएं नहीं दीं जिन्हें वे समेटना चाह रहे हैं.
चेन्नई में 27,398 कोरोनावायरस के मामले हैं, जो राज्य के 38,716 के टैली का 70 प्रतिशत है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, तमिलनाडु में 349 वायरस से होने वाली मौतों में से 279 अकेले चेन्नई से हैं. तमिलनाडु सरकार देश में मृत्यु दर को 1 प्रतिशत से कम रखने का हवाला देती रही है.लेकिन ताजा घटनाक्रम से यह आरोप लगने लगे हैं कि तमिलनाडु के वायरस हॉटस्पॉट से चेन्नई में होने वाली मौतों को जानबूझकर 0.88 प्रतिशत कम मृत्यु दर का अनुमान लगाया गया था.
मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने आरोप से इनकार किया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "जानकारी छुपाने से सरकार को कोई फायदा नहीं है. हम पारदर्शी हैं. सरकारी अस्पतालों में होने वाली मौतों का हिसाब दिया गया है. निजी अस्पतालों में होने वाली मौतों के बारे में हमें जो जानकारी मिलती है, उसके आधार पर हम रिपोर्ट करते हैं."