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This Article is From Jun 24, 2020

कोरोना के खिलाफ 'सिद्ध चिकित्सा' को बढ़ावा दे रही तमिलनाडु सरकार, 100% रिकवरी का दावा

मिलनाडु सरकार राज्य में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए सिद्ध चिकित्सा का सहारा ले रही है. यहां कोरोनावायरस संक्रमण के कुल मामले 64,000 से ऊपर पहुंच गए हैं. ऐसे में तमिलनाडु सरकार ने यहां की मूल सिद्ध चिकित्सा को बढ़ावा देना शुरू किया है.

कोरोना के खिलाफ 'सिद्ध चिकित्सा' को बढ़ावा दे रही तमिलनाडु सरकार, 100% रिकवरी का दावा
कोरोना के खिलाफ सिद्ध चिकित्सा का सहारा ले रही तमिलनाडु सरकार. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
तमिलनाडु की सरकार का कोरोना के खिलाफ हथियार
सिद्ध चिकित्सा को दे रही बढ़ावा
हल्के लक्षणों वाले मामलों में 100 फीसदी रिकवरी का दावा
चेन्नई:

तमिलनाडु सरकार राज्य में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए सिद्ध चिकित्सा का सहारा ले रही है. यहां कोरोनावायरस संक्रमण के कुल मामले 64,000 से ऊपर पहुंच गए हैं. ऐसे में तमिलनाडु सरकार ने यहां की मूल सिद्ध चिकित्सा को बढ़ावा देना शुरू किया है. सरकार का दावा है कि यहां पर लगभग नहीं के बराबर और हल्के लक्षणों वाले कोरोना के मरीजों के इलाज में इसकी मदद ली गई है और रिकवरी रेट 100 फीसदी रहा है. 

सरकार की ओर कहा गया है कि यहां चेन्नई के एक कोविड सेंटर में 25 मरीजों को सिद्ध इलाज से ठीक करने के बाद इसका इस्तेमाल कोरोनावायरस हॉटस्पॉट बने व्यासरपदी के अंबेडकर कॉलेज में होने जा रहा है. इस ट्रीटमेंट को लेकर सवाल भी उठे हैं. कई लोगों ने सवाल उठाया है कि वैज्ञानिक रूप से अप्रमाणित इस तमिलनाडु की प्राचीन चिकित्साविधि के इस्तेमाल से मरीज के स्वास्थ्य को खतरा पैदा होता है लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के पंडियाराजन ने इन सवालों को खारिज करते हुए कहा है कि ऐसा कुछ नहीं है.

उन्होंने NDTV से बातचीत में कहा, 'रिकवरी रेट 100 फीसदी की रही है. हम लोगों की जिंदगी खतरे में नहीं डाल रहे हैं. सिद्ध चिकित्सा हमारा ट्रंप कार्ड है. हम सिद्ध, योग और आयुर्वेद को एक साथ मिला रहे हैं. इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है लेकिन इसका इतिहास इसकी विश्वसनीयता के लिए काफी है.' उन्होंने कहा केवल तीन फीसदी मामलों में लोगों को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है, ऐसे मामलों में ऐलोपैथी की जरूरत पड़ती है. 

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'हम कोरोना के हल्के लक्षणों वाले मामलों में जो लोग इच्छुक हैं, उन्हें सिद्ध चिकित्सा दे रहे हैं. वो लोग इससे खुश हैं.' हालांकि अंग्रेजी यानी ऐलोपैथी पद्धति से इलाज करने के वाले डॉक्टरों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई है. उनका कहना है कि इस दवा का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, न ही इसका कोई ट्रायल हुआ है, ऐसे में यह कितना सुरक्षित है, इस पर कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता.

बता दें कि इसके पहले सत्ताधारी पार्टी AIADMK ने सिद्ध चिकित्सा से ही तैयार की जाने वाली प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कबूसरा कुड़ीनीर दवा को बढ़ावा दिया था. के पंडियाराजन ने कहा कि 'यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी इसे प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए बेहतर माना है. हम डोर-टू-डोर जाकर लोगों को यह दे रहे हैं और लोग संतुष्ट हैं.' 

तमिलनाडु सरकार का दावा ऐसे वक्त में आया है, जब योगगुरू बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि आयुर्वेद ने मंगलवार को ही कोरोनावायरस की दवा बना लेने का दावा करते हुए कोरोनिल और सवसरी नाम से दवा की किट भी लॉन्च कर दी है. हालांकि, आयुष मंत्रालय ने कहा है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और पतंजलि अभी इसका प्रचार न करे. सरकार ने दवा पर ज्यादा जानकारी मांगी है.

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