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This Article is From Jan 14, 2011

'विदेशी बैंकों में खाताधारकों के नाम उजागर करे सरकार'

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से पूछा कि जर्मनी और स्विटजरलैंड के बैंकों में छिपाकर अकूत धन जमा करने वालों के नाम उजागर करने में क्या समस्या है। न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर की खंडपीठ ने पूछा कि उनके नाम उजागर न करने में 'क्या विशेषाधिकार' है। न्यायालय ने महाधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम से कहा, "यह कर का मामला नहीं है। इसमें जो बात शामिल है वह गंभीर प्रकृति की है। हमें उन लोगों के बारे में विचार करना चाहिए (जिन लोगों के नाम जर्मनी अधिकारियों ने सार्वजनिक किए हैं)।" न्यायालय ने अपनी सलाह में कहा कि जब सरकार के पास नाम है तो इन्हें क्यों नहीं सार्वजनिक किया जा सकता। "यदि आपके पास उनके नाम नहीं हैं, तो यह एक अलग मामला है।" न्यायालय की इस टिप्पणी के बाद सुब्रमण्यम ने सुनवाई स्थगित करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें सरकार से निर्देश लेने की जरूरत है। न्यायालय इस मसले पर अब बुधवार को सुनवाई करेगा। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता राम जेठमलानी की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील अनिल दीवान ने कहा कि सरकार जानबूझकर नामों को सार्वजनिक नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार भारत और जर्मनी के बीच दोहरे कराधान संधि का सहारा लेकर इस मामले को गलत दिशा दे रही है। दीवान ने कहा कि यह पूरा मामला काले धन से सम्बंधित है। उल्लेखनीय है कि जेठमलानी ने जर्मन सरकार की रिपोर्ट पर सरकार को कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। रिपोर्ट में जर्मन सरकार ने लिकटेंस्टीन स्थित बैंकों में भारतीय खाताधारकों के बारे में जानकारी देने की इच्छा जताई है।

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