दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाए गए हैं। संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर और नर्सों ने खास किट पहनी है। अस्पताल के एक वार्ड में मंगलवार को ही दो मरीज भर्ती कराए गए हैं, जिनमें एक 64 साल का बुजुर्ग डॉक्टर और एक 30 साल की महिला है।
दोनों ही गाजियाबाद के रहने वाले हैं। बुजुर्ग मरीज के बेटे ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि बीमारी की शुरुआत खांसी और बुखार से हुई। उसने बताया कि पिता को 25 दिसंबर को गाजियाबाद के एक हॉस्पीटल में भर्ती कराया, 28 दिसंबर को स्वाइन फ्लू की जांच के लिए ब्लड सैंपल लिया गया और 30 दिसंबर को जब रिपोर्ट आई तो पता चला कि उनके पिता को स्वाइन फ्लू हुआ है।
डॉक्टरों की मानें तो ये इंफ्लूएंजा आम वायरस की तरह हमला करता है, इसलिए आम सर्दी जुकाम, बुखार के लक्षण से इसको पहचान पाना थोड़ा मुश्किल है। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं में ये वायरस तेजी से फैलता है। आरएमएल के मेडिसन विभाग अध्यक्ष डॉ एके गडपायले के मुताबिक ये बीमारी सांसों के जरिये हवा के संपर्क से फैलती है। जैसे ही बीमारी का शक हो, फौरान जांच और इलाज शुरू कर दें। देरी करने पर ये बीमारी जानलेवा हो सकती है।
वहीं, आरएमल के एमएस डॉ एचके कर के मुताबिक बढ़ती सर्दी के साथ ही मरीजों की संख्या बढ़ सकती है, इसलिए अस्पताल में 30-30 बेड के दो विशेष वार्ड बनाए गए हैं जहां स्वाइन फ्लू की दवाइयों का खास इंतजाम है और वहां चौबीसों घंटे डॉक्टरों की टीम रहती है।
वहीं, स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल 1 जनवरी से 21 दिसंबर के बीच पूरे देश में स्वाइन फ्लू के 872 मामले सामने आए। जिनमें से 213 लोगों की मौत हो गई, सबसे ज्यादा 300 मामले कर्नाटक के हैं। इस बीमारी से सबसे ज्यादा 55 मौत गुजरात में हुई। दिल्ली में इस साल 35 मामले सामने आए, जिसमें एक मरीज की मौत हो गई।
हालांकि पिछले बरसों के मुकाबले इंफ्लूएंजा वाइरस ए, एच1एन1 कमजोर हुआ है। इसीलिए मरीजों की संख्या भी घटी है, लेकिन बढ़ती सर्दी के साथ मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। इसलिए अस्पतालों से सतर्क रहने के लिए कहा गया है।
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक जगदीश प्रसाद के मुताबिक सभी राज्यों को तीन महीने पहले ही पत्र लिखकर इस बीमारी से निपटने और सतर्क रहने को कहा गया है। स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीजों के घरवालों को भी संक्रमण से बचने की पूरी हिदायत दी गई है।
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