प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि हितों में टकराव के आधार पर नचिकेत मोर को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बोर्ड से हटाया जाए. स्वदेशी जागरण मंच के सह - संयोजक अश्विनी महाजन ने मोदी को लिखे गए पत्र में कहा, ‘‘....भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड में नचिकेत मोर को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है. यह हितों में टकराव का फिट मामला है, क्योंकि उनके प्रधान नियोक्ता बीएमजीएफ को विदेशी फंड प्राप्त होता है और आरबीआई फंड का नियामक है.’’ उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) की गतिविधियां संदिग्ध हैं.
पत्र में कहा गया, ‘‘हम आपसे सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं, ताकि सभी को संदेश जाए कि वे भारत को हल्के में नहीं ले सकते.’’ महाजन ने अपने पत्र में कहा कि मोर बीएमजीएफ के पूर्णकालिक भारत प्रतिनिधि हैं. बीएमजीएफ केंद्रीय गृह मंत्रालय की सख्त निगरानी में है और विदेशी स्रोतों से सक्रियता से धन प्राप्त कर रहा है. उन्होंने कहा कि बीएमजीएफ का आरबीआई की अनुमति से भारत में काम करना हितों में टकराव का स्पष्ट मामला है.
एसजेएम ने कहा कि गृह मंत्रालय बीएमजीएफ पर इन आरोपों के कारण नजर रख रहा है कि यह फाउंडेशन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम कर रहा है ताकि स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्रों में सरकारी नीतियों को उनके पक्ष में प्रभावित कर सके. एसजेएम ने मांग की है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अलावा नीति आयोग, भारतीय मेडिकल अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और केंद्रीय कृषि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे ऐसे संगठनों एवं उनके प्रतिनिधियों से दूरी बनाए रखें.
मोर अभी बीएमजीएफ - इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक हैं. वह आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य भी हैं. महाजन ने कहा कि हाल में मीडिया में कुछ खबरें आई थीं जिनमें आरोप लगाए गए थे कि बीएमजीएफ ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज (जीएचएस) नाम के एक एनजीओ की फंडिंग कर रहा है ताकि वह भारत में वैश्विक तौर पर व्यर्थ दवाएं इस्तेमाल करने के लिए जरूरी प्रयास करे.
(इनपुट भाषा )
पत्र में कहा गया, ‘‘हम आपसे सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं, ताकि सभी को संदेश जाए कि वे भारत को हल्के में नहीं ले सकते.’’ महाजन ने अपने पत्र में कहा कि मोर बीएमजीएफ के पूर्णकालिक भारत प्रतिनिधि हैं. बीएमजीएफ केंद्रीय गृह मंत्रालय की सख्त निगरानी में है और विदेशी स्रोतों से सक्रियता से धन प्राप्त कर रहा है. उन्होंने कहा कि बीएमजीएफ का आरबीआई की अनुमति से भारत में काम करना हितों में टकराव का स्पष्ट मामला है.
एसजेएम ने कहा कि गृह मंत्रालय बीएमजीएफ पर इन आरोपों के कारण नजर रख रहा है कि यह फाउंडेशन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम कर रहा है ताकि स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्रों में सरकारी नीतियों को उनके पक्ष में प्रभावित कर सके. एसजेएम ने मांग की है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अलावा नीति आयोग, भारतीय मेडिकल अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और केंद्रीय कृषि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालयों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे ऐसे संगठनों एवं उनके प्रतिनिधियों से दूरी बनाए रखें.
मोर अभी बीएमजीएफ - इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक हैं. वह आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य भी हैं. महाजन ने कहा कि हाल में मीडिया में कुछ खबरें आई थीं जिनमें आरोप लगाए गए थे कि बीएमजीएफ ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज (जीएचएस) नाम के एक एनजीओ की फंडिंग कर रहा है ताकि वह भारत में वैश्विक तौर पर व्यर्थ दवाएं इस्तेमाल करने के लिए जरूरी प्रयास करे.
(इनपुट भाषा )
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