Swachh Survekshan 2019 : केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छता को लेकर हाल में शहरों की रैकिंग को लेकर जारी स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 की रिपोर्ट पर सवाल उठे हैं. कहा जा रहा है कि सर्वे करने में जल्दबाजी की गई, जिससे शहरों की रैकिंग में खामियां दिख रहीं हैं. पर्यावरण क्षेत्र के थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरॉमेंट (सीएसई) ने दावा किया है कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 और शहरों की रैंकिंग में कई खामियां थीं. सीएसई ने दावा किया कि सर्वे के लिए जमीनी स्तर पर आकलन महज 28 दिनों में पूरा कर लिया गया ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि सर्वे के नतीजे आम चुनावों की तारीखों के ऐलान से पहले घोषित कर दिए जाएं. संगठन ने कहा कि 2018 में यह कवायद 66 दिनों से अधिक समय में पूरी हुई थी.
स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 : मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार तीसरे साल बना देश का सबसे स्वच्छ शहर
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीते छह मार्च को यहां एक कार्यक्रम में स्वच्छ सर्वेक्षण अवॉर्ड दिए थे, जिसमें इंदौर को लगातार तीसरे साल भारत के सबसे साफ-सुथरे शहर का अवॉर्ड मिला. छत्तीसगढ़ का अंबिकापुर और कर्नाटक का मैसूर इस श्रेणी में क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा. सीएसई ने यह भी कहा कि सर्वे में डेटा जुटाने और पर्यवेक्षण के लिए पर्याप्त संख्या में विशेषज्ञों, पात्रता प्राप्त सर्वेक्षकों और प्रमाण-पत्र देने वालों को शामिल नहीं किया गया था. संगठन ने कहा, ‘‘कई राज्यों के शहरी विकास विभाग और शहरों के प्रशासकों ने सर्वेक्षकों की अक्षमता के बारे में अपनी चिंता जाहिर की थी.''(इनपुट-भाषा)
वीडियो- सफ़ाई में अव्वल कैसे बना इंदौर?
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