हालांकि उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए आरोपियों को विशेष अदालत के समक्ष आत्म समर्पण करने को कहा।
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न्यायमूर्ति केटी शंकरन और न्यायमूर्ति एमएल जोसेफ फ्रांसिस ने कहा कि शीर्ष न्यायालय से अपील और दस्तावेज नहीं मिले हैं और उन्हें देखे बिना वह आगे की कार्यवाही नहीं कर सकती जबकि आरोपी चाहते थे कि उनकी याचिकाओं पर आज ही सुनवाई हो।
आरोपियों के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय ने मामले का गुणदोष देखे बिना केवल तकनीकी आधार पर फैसला सुनाया। आरोपी को सत्र अदालत ने दोषी करार दिया था और सजा सुनाई थी। 2005 में उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने जिन 35 आरोपियों को बरी किया था, उनमें ये शामिल थे।
हालांकि उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए आरोपियों को विशेष अदालत के समक्ष आत्म समर्पण करने को कहा।
जमानत की याचिका दायर करने वालों में आरोपी संख्या एक राजन और पांचवा आरोपी चेरियन शामिल हैं जिन्होंने दलील दी कि आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
मामला 16 साल की एक लड़की से जुड़ा है जिसका 1996 में अपहरण कर कई जगह ले जाया गया और यौन उत्पीड़न किया गया।
मामले में कुरियन को बरी कर दिया गया था लेकिन पीड़ित ने हाल ही में उनका नाम उन व्यक्तियों में लिया जिन्होंने उनका कथित यौन उत्पीड़न किया था।
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