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This Article is From Nov 03, 2021

सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह और यूएपीए के कथित अपराधों से व्यक्ति को बरी करने का HC का आदेश किया रद्द

केरल सरकार और अन्य की अपीलों पर गौर करते हुए,सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की एकल पीठ के सितंबर 2019 के आदेश के बारे में कहा जा सकता है कि यह राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कानून और शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में निर्धारित कानून के तहत संवैधानिक प्रावधान के “पूरी तरह उलट” है.

सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह और यूएपीए के कथित अपराधों से व्यक्ति को बरी करने का HC का आदेश किया रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह-यूएपीए के कथित अपराधों से व्यक्ति को बरी करने काआदेश रद्द कर दिया है
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court)का वह आदेश रद्द कर दिया जिसमें माओवादियों से कथित तौर पर संबंध (alleged Maoist links)रखने के लिए गिरफ्तार व्यक्ति को राजद्रोह सहित आतंकवाद रोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत तीन मामलों में बरी किया गया था. केरल सरकार और अन्य की अपीलों पर गौर करते हुए,सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की एकल पीठ के सितंबर 2019 के आदेश के बारे में कहा जा सकता है कि यह राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कानून और शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में निर्धारित कानून के तहत संवैधानिक प्रावधान के “पूरी तरह उलट” है.

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जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ से राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि आरोपी को इन आरोपों से मुक्त करने से इंकार करने संबंधी विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ आरोपी रूपेश की पुनरीक्षण याचिकाओं पर एनआईए अधिनियम की धारा 21 की उप-धारा (2) के तहत अनिवार्य रूप से उच्च न्यायालय की खंडपीठ को सुनवाई करनी चाहिए थी.

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पीठ ने 29 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा, “उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, ये सभी अपीलें सफल समझी जाती हैं और उच्च न्यायालय द्वारा पारित सामान्य निर्णय और आदेश ... अभियुक्त को आरोपमुक्त करने वाला - निरस्त किया जाता है और मामले को पुनरीक्षण याचिका पर निर्णय लेने के लिए नए सिरे से खंडपीठ द्वारा कानून के अनुसार और गुण-दोष के आधार पर हाईकोर्ट में भेजा जाता है.” शीर्ष अदालत ने कहा कि पुनरीक्षण याचिकाओं का फैसला उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा जल्द से जल्द और संभव हो तो आदेश प्राप्त होने की तारीख से छह महीने के भीतर किया जाना चाहिए.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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