विज्ञापन
This Article is From Jul 17, 2018

गौरक्षा के नाम पर हिंसा के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

सुप्रीम कोर्ट देश भर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा, अदालत ने तीन जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था

गौरक्षा के नाम पर हिंसा के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: गौरक्षकों द्वारा हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट देश भर में इस तरह की मॉब लिंचिंग की घटनाएं रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी करेगा. तीन जुलाई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. 

CJI दीपक मिश्रा ने कहा था कि मॉब लिंचिंग जैसी हिंसा की वारदातें नहीं होनी चाहिए चाहे कानून हो या नहीं. कोई भी ग्रुप कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता. ये राज्यों का दायित्व है कि वो इस तरह की वारदातें न होने दे. मॉब लिंचिंग के पीड़ितों को मुआवज़े के लिए इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि धर्म, जाति और लिंग को ध्यान मे रखा जाए, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा ये उचित नहीं. पीड़ित सिर्फ पीड़ित होता है, उसे अलग-अलग खांचे में नहीं बांटा जा सकता. इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि अब तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ गया है. वे गाय से आगे बढ़कर बच्चा चोरी का आरोप लगाकर खुद ही कानून हाथ में लेकर लोगों को मार रहे हैं. महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं हुई हैं. 

यह भी पढ़ें : यूपी में गौरक्षकों के डर से बीमार गायों का इलाज कराना हुआ मुश्किल

याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने इन घटनाओं से निपटने और घटना होने के बाद अपनाए जाने वाले कदमों पर विस्तृत सुझाव कोर्ट के सामने रखे थे. ये सुझाव मानव सुरक्षा कानून (मासुका) पर आधारित हैं.  सुझावों में नोडल अधिकारी, हाइवे पेट्रोल, FIR, चार्जशीट और जांच अधिकारियों की नियुक्ति जैसे कदम शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था. राज्यों के चीफ सेकेट्री से पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाया जाए. 

तुषार गांधी की याचिका में कहा गया है कि पिछले साल 6 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर कहा था कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा की घटनाओं पर रोक लगनी चाहिए और हर जिले में नोडल अफसर बनाए जाएं. इसके बावजूद इन तीन राज्यों में गौरक्षा के नाम पर हिंसा की वारदातें हो रही हैं. याचिका में ऐसी सात घटनाओं का जिक्र किया गया है. 

यह भी पढ़ें: फ़रीदाबाद में गौरक्षकों की गुंडागर्दी! गौमांस ले जाने के शक में विकलांग शख्‍स को बुरी तरह पीटा

गौरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर  केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो प्राइवेट लोगों द्वारा  किसी भी विजिलेंटिज्म को समर्थन नहीं करती. लेकिन कानून व्यवस्था राज्य सरकारों का काम है. संसद में भी सरकार ने यही बताया है. वहीं गुजरात सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने ऐसे मामले में दोषी व्यक्ति को गिरफ्तार कर कारवाई की है. 

VIDEO : गाय ले जा रहे लोगों को पीटा

तहसीन पूनावाला, तुषार गांधी और दो अन्य ने याचिका में गौरक्षा के नाम पर दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा रोकने की मांग की है और कहा है कि ऐसी हिंसा करने वाले संगठनों पर उसी तरह से पाबंदी लगाई जाए जिस तरह की पाबंदी सिमी जैसे संगठन पर लगी है. याचिका में कहा गया है कि देश में कुछ राज्यों में गौरक्षा दलों को सरकारी मान्यता मिली हुई है जिससे इनके हौसले बढ़े हुए हैं. मांग की गई है कि गौरक्षक दलों की सरकारी मान्यता समाप्त की जाए. याचिका के साथ में गौरक्षक दलों की हिंसा के वीडियो और अखबार की कटिंग लगाई गई हैं और अदालत से इनका संज्ञान लेने को कहा गया है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह... जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?
गौरक्षा के नाम पर हिंसा के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Next Article
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com