ऑक्सीजन मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. हाइकोर्ट ने दिल्ली को ऑक्सीजन आपूर्ति ना करने पर अवमानना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसे केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसका पालन करना चाहिए. अधिकारियों को जेल भेज कर, अवमानना का मामला चला कर दिल्ली वालों को ऑक्सीज़न नहीं दी जा सकती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिए, दोनों तरफ से सहयोग होना चाहिए.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली बार मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने ऑक्सीजन सप्लाई में बहुत अच्छा काम किया था. क्या हम उनसे सीख सकते है? हमे सोमवार तक बताइए की दिल्ली को 700 मीट्रिक टन कब और कैसे मिलेगा? केंद्र सरकार ने कहा कि हमने मुंबई से उनका ऑक्सीजन मैनेजमेंट का मॉडल मांगा है ताकि उसको दिल्ली के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों में भी लागू किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने बफर स्टॉक बनाने का संकेत दिया था. यदि यह मुंबई में किया जा सकता है जो बहुत जनसंख्या वाला है. तो निश्चित रूप से यह दिल्ली में भी किया जा सकता है.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना से कुछ मदद नहीं मिलेगी. आप बताइए कि हम ऑक्सीजन को कैसे प्राप्त कर सकते हैं? अदालत को ये रास्ता बताइए. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, हम दिल्ली के नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं. हमने 700 मीट्रिक टन के लिए आदेश पारित किए हैं. हम बाद में इसकी समीक्षा कर सकते हैं. मुंबई मॉडल का विश्लेषण किया जाए. मुंबई टीम एक प्रस्तुति दे सकती है.
केंद्र के अफसर पीयूष गोयल ने बताया कि ऑक्सीजन का उत्पादन नहीं बल्कि कंटेनरों की कमी मुख्य समस्या है. क्षमता बढ़ाने के लिए मुख्य संयंत्रों को बंद कर दिया गया था. एक मई को 350 MT तक भी पहुंचना मुश्किल था. अब काफी सुधार हुआ है. आज सुबह 140 मीट्रिक टन दिल्ली पहुंची. हम गुजरात से अतिरिक्त खेप ले रहे हैं.
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जज के अलावा नागरिक भी हैं. लोगों के मदद करने की कोशिश कर रहे है. लेकिन हालात ऐसे हैं कि हम असहाय महसूस कर रहे है. जब हम ऐसा महसूस कर रहे है तो और लोगों का क्या हाल होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि हमारे आदेश के बाद तीन दिनों में दिल्ली को कितनी ऑक्सीजन दी गई. इस पर केंद्र की तरफ से जानकारी दी गई कि 3 मई को 433 MT , 4 मई को 585 मीट्रिक टन और आज के लिए हम आंकड़े प्राप्त करेंगे.
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार मिलकर अच्छा काम कर रहे हैं. दिल्ली के लिए 590 MT आवंटन रखा गया है. इस पर जस्टिस जस्टिस शाह ने पूछा कि ये कितनी अवधि के लिए हैं? तो केंद्र ने जवाब दिया कि 24 घंटे के लिए. इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा पूछा कि आपके एएसजी ने हाईकोर्ट में ये क्यों कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 700 MT का आदेश नहीं दिया है. इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि हम 700 MT पहुंचेंगे.
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इस पर केंद्र सरकार ने कहा कि अफसर दिन रात काम कर रहे हैं. पूरे देश में सहयोग से काम हो रहा है. हमने ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग को रोक दिया है. हमारे पास चिकित्सा प्रयोजनों के लिए 9000 मीट्रिक टन के कॉमन पूल उपलब्ध है. सवाल यह है कि इसे राज्यों में कैसे बांटा जाए. अप्रैल से पहले 1000 से 2000 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीज़न की मांग थी, जब ऑक्सीज़न की मांग बढ़ी तो उसके पूरा करने की कोशिश की, हमने इंडस्ट्रियल ऑक्सीज़न को डाइवर्ट किया. 9700 MT ऑक्सीज़न अभी उपलब्ध है, इसको देश के अलग अलग को किस तरह से बाटा जा रहा है. इसको समझना होगा
जस्टिस शाह ने कहा कि आप अपनी योजना बताइए. हमें यह भी देखना होगा कि दूसरे राज्यों के साथ नाइंसाफी न हो. इस पर एसजी मेहता ने कहा कि शुरुआत में बहुत समस्या थी. अब हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है. सवाल उसके वितरण का है. हमने पूरे देश के लिए ऑक्सीजन का एक फार्मूला तैयार किया है. ये सभी राज्यों पर लागू है, जिसमें ऑक्सीजन की जरूरत तय की गई है.
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वहीं, जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि आपका पूरा फार्मूला एक अनुमान पर आधारित है कि कितने बैड पर ऑक्सीजन चाहिए. लेकिन ये हर राज्य में महामारी के चरण पर आधारित होना चाहिए. जो चरण ओडिशा में है वो महाराष्ट्र में नहीं है. आप हर राज्य के लिए एक कॉमन फार्मूला लागू नहीं कर सकते. दिल्ली में महामारी की स्थिति गंभीर है.
केंद्र ने कहा कोर्ट से कहा कि हम दिल्ली के लिए 550MT ऑक्सीजन तय कर सकते हैं. इससे दिल्ली का काम चल सकता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अपने आदेश से पीछे नहीं जा सकते. कोर्ट स्टाफ, वकील ऑक्सीजन के लिए रो रहे हैं. आज हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए और हम नागरिकों के प्रति जवाबदेह हैं. 550 मीट्रिक टन दिल्ली की समस्या का समाधान नहीं है. इस समय हमारा प्रयास खामियां तलाशने का नहीं बल्कि जान बचाने का होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, हम चाहते हैं कि जब दस मई को हम सुनवाई करें तो दिल्ली में आज से तब तक 700MT ऑक्सीजन मिले. आप कुछ देर बाद बता सकते हैं कि आज रात मध्यरात्रि तक कितनी ऑक्सीजन देंगे. और 700 MT देने के लिए क्या कदम उठाएंगे. दोपहर तक दिल्ली में 351MT ऑक्सीज़न आ चुकी. हम बस यही चाहते हैं कि देर रात तक दिल्ली में 700 MT ऑक्सीज़न सप्लाई सुनिश्चित हो, हम 500 या 545 MT नहीं चाहते. हम बस यही चाहते हैं कैसे 700 MT की मांग के पास पहुंचा जा सकता हैं.
साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम एक छोटा आदेश जारी करेंगे. हम आपको शाम 5 बजे तक का समय देते हैं और हमें बताएं कि आपूर्ति के स्रोत कौन से हैं और दिल्ली को 700 मीट्रिक टन कैसे मिलेगी. हम अवमानना कार्यवाही नहीं चाहते हैं. हम जमीन पर कार्रवाई चाहते हैं.
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