दिल्ली के जंतर मंतर पर तमिलनाडु के किसानों का प्रदर्शन (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
तमिलनाडु में किसानों की खुदकुशी के मामले की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को कहा कि वो फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में किसानों को जागरूक करें ताकि प्रदेश के किसान इसका लाभ उठा सकें और वो मंडी में सही दाम पा सकें.
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश एमिकस क्यूरी की दलील पर दिए हैं जिसमें कहा गया कि ज्यादातर किसानों को इसके बारे में जानकारी नहीं है और 35 फीसदी किसान ही इसका लाभ उठा पा रहे हैं.
कोर्ट ने सरकार को कहा है कि वो 8 मई को सारी रिपोर्ट बताएं कि किसानों के लिए सरकार क्या क्या कदम उठा रही है.
कोर्ट ने कहा कि फिलहाल वो खुदकुशी के मुद्दे पर नहीं जा रहा बल्कि ये देख रहा है कि किसानों को सरकारी योजनाओं से पूरा लाभ दिलाया जा सकता है.
किसानों की खुदकुशी का मामले में सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि तमिलनाडु में 82 किसानों की मौत सूखे ही वजह से नहीं हुई है. ये सारी मौतें प्राकृतिक और निजी कारणों से हुई हैं. फिर भी राज्य सरकार ने परिवारों को 3-3 लाख रुपये दिए हैं. राज्य सरकार सूखे के हालात पर नजर रखे हुए हैं. पांच साल से कर्नाटक कावेरी नदी का पानी नहीं छोड रहा उसके बावजूद सरकार किसानों का मदद के लिए फसल बीमा और दूसरी सविधाएं दे रही है.
मामले की सुनवाई में किसानों की खुदकुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आड़े हाथ लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि राज्य में किसानों द्वारा की जा रही खुदकुशी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. पीठ ने कहा कि चुप रहना समाधान नहीं है.
कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक तंगी के कारण किसानों द्वारा खुदकुशी करने की घटना किसी भी संवेदनशील आत्मा को झकझौर देता है. उन्होंने कहा कि राज्य अपने नागरिकों का अभिभावक होता है, इसलिए उसे अपनी प्रजा की भलाई पर ध्यान रखना चाहिए. बड़ी संख्या में किसान खुदकुशी कर रहे हैं, ऐसे में राज्य को इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए. एक कल्याणकारी राज्य केलिए सामाजिक न्याय बेहद अहम होता है. राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानते हुए इसे रोकने के लिए तरीका निकालना चाहिए.
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम तमिलनाडु सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह अगली तारीख पर इससे निपटने की योजनाएं पेश करेगी. सुप्रीम कोर्ट एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
जंतर मंतर पर धरने पर बैठे किसानों की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. किसानों की ओर से कहा गया है कि किसान 35 दिनों से दिल्ली में धरने पर बैठे हैं और प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश एमिकस क्यूरी की दलील पर दिए हैं जिसमें कहा गया कि ज्यादातर किसानों को इसके बारे में जानकारी नहीं है और 35 फीसदी किसान ही इसका लाभ उठा पा रहे हैं.
कोर्ट ने सरकार को कहा है कि वो 8 मई को सारी रिपोर्ट बताएं कि किसानों के लिए सरकार क्या क्या कदम उठा रही है.
कोर्ट ने कहा कि फिलहाल वो खुदकुशी के मुद्दे पर नहीं जा रहा बल्कि ये देख रहा है कि किसानों को सरकारी योजनाओं से पूरा लाभ दिलाया जा सकता है.
किसानों की खुदकुशी का मामले में सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि तमिलनाडु में 82 किसानों की मौत सूखे ही वजह से नहीं हुई है. ये सारी मौतें प्राकृतिक और निजी कारणों से हुई हैं. फिर भी राज्य सरकार ने परिवारों को 3-3 लाख रुपये दिए हैं. राज्य सरकार सूखे के हालात पर नजर रखे हुए हैं. पांच साल से कर्नाटक कावेरी नदी का पानी नहीं छोड रहा उसके बावजूद सरकार किसानों का मदद के लिए फसल बीमा और दूसरी सविधाएं दे रही है.
मामले की सुनवाई में किसानों की खुदकुशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को आड़े हाथ लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा है कि राज्य में किसानों द्वारा की जा रही खुदकुशी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. पीठ ने कहा कि चुप रहना समाधान नहीं है.
कोर्ट ने कहा है कि आर्थिक तंगी के कारण किसानों द्वारा खुदकुशी करने की घटना किसी भी संवेदनशील आत्मा को झकझौर देता है. उन्होंने कहा कि राज्य अपने नागरिकों का अभिभावक होता है, इसलिए उसे अपनी प्रजा की भलाई पर ध्यान रखना चाहिए. बड़ी संख्या में किसान खुदकुशी कर रहे हैं, ऐसे में राज्य को इसे रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए. एक कल्याणकारी राज्य केलिए सामाजिक न्याय बेहद अहम होता है. राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानते हुए इसे रोकने के लिए तरीका निकालना चाहिए.
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि हम तमिलनाडु सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह अगली तारीख पर इससे निपटने की योजनाएं पेश करेगी. सुप्रीम कोर्ट एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
जंतर मंतर पर धरने पर बैठे किसानों की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है. किसानों की ओर से कहा गया है कि किसान 35 दिनों से दिल्ली में धरने पर बैठे हैं और प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
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