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This Article is From Apr 12, 2016

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, लोगों की गरीबी का फायदा मत उठाइए

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, लोगों की गरीबी का फायदा मत उठाइए
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, मनरेगा के तहत काम कर रहे लोगों की गरीबी का फायदा मत उठाइए। कोर्ट ने कहा कि इस बात में कोई भ्रम नहीं कि मनरेगा का पैसा देने में देरी हुई। ये बात हलफनामे से भी साबित होती है। कोई मजदूर भला काम करने क्यों आएगा जब उसे पैसा ही ना मिले। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें ये कह सकती हैं कि आप काम कीजिए, पैसा कब मिलेगा, ये मत पूछिए।  सुप्रीम कोर्ट हरियाणा में सूखे की स्थिति पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

मनरेगा के तहत औसत 45 दिन एक व्यक्ति को काम दिया गया
मनरेगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर केंद्र पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा, पिछले आंकड़े बता रहे हैं कि मनरेगा के तहत औसत 45 दिन एक व्यक्ति को काम दिया गया। यहां आप सूखे के दौरान 100-150 दिन के काम की बात कर रहे हैं। जबकि आप सूखे की बात तो छोड़िए, सामान्य दिनों में ही 45 दिन काम दे पाते हैं। क्या इससे ये समझें कि जब हजारों लोग आकर सरकार को कहेंगे कि हमारे यहां सूखा है, तब सरकार उन्हें काम देगी।

सूखा कब घोषित किया गया, तारीख बताएं
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सूखा प्रभावित 10 राज्यों का डाटा मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि यहां कितने जिले, तहसील, गांव और लोग प्रभावित हैं। यहां सूखा कब घोषित किया गया, तारीख बताएं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ का सालाना बजट कितना है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्यों ना इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया जाए जो पूरे मामले में सरकारी कामकाज की निगरानी करेगा और कोर्ट को रिपोर्ट देगा।

इस मामले में मंगलवार को सुनवाई होगी। केंद्र ने इसका विरोध किया और कहा कि हम योजनाओं को लागू कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार को क्या लगता है कि उसकी योजनाएं सही से लागू हो रही हैं। अगर ऐसा है तो बताइए मनरेगा का पिछले साल का 8 हजार करोड़ अब क्यों दिया। कोर्ट कमिश्नर भी तो यही निगरानी करेगा कि योजनाएं सही से चलें।

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