कोर्ट ने विजन डाक्यूमेंट दाखिल करने का वक्त 15 नवंबर तक बढ़ा दिया है.
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को ताज सरंक्षण के लिए विजन डाक्यूमेंट दाखिल करने का वक्त 15 नवंबर तक बढ़ा दिया है. यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसके लिए ये मुश्किल है कि पूरे आगरा को हेरिटेज सिटी घोषित किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कहा कि वो ताजमहल के आसपास के क्षेत्र को हेरिटेज घोषित करने पर विचार करे. विजन डाक्यूमेंट को लेकर यूपी सरकार ने कहा कि वो इस संबंध में एक्सपर्ट से राय ले रही है, लिहाजा वो फाइनल विजन डाक्यूमेंट 15 अक्टूबर तक नहीं दे पाएगी. यूपी सरकार ने अहमदाबाद के सेंटर फॉर इंवायरमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नालॉजी की मदद लेने की बात भी कही है. गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में ताज महल संरक्षण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर कई सवाल उठाए थे. कोर्ट ने ताज महल के रखरखाव के लिए सरकार द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट पैनल को एक महीने में विजन डाक्यूमेंट देने का निर्देश दिया था.
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साथ ही सवाल उठाए हैं कि अगर सरकार के पास ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) में इंडस्ट्रीज की संख्या सही नहीं थी. तो इसका मतलब है कि उसका विजन डाक्यूमेंट ड्राफ्ट ही गलत है. कोर्ट ने कहा कि अभी तक सरकार को ये ही नहीं पता है कि इस क्षेत्र में इंडस्ट्री कितनी चल रही हैं. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब सरकार द्वारा ताज महल के सरंक्षण के लिए बनाए गए एक्सपर्ट पैनल की सदस्य प्रोफेसर मीनाक्षी दोहते ने कोर्ट को बताया कि पहले राज्य सरकार ने उन्हें इलाके की इंडस्ट्री की लिस्ट दी थी, लेकिन बाद में कहा कि उसमें बदलाव किया जाएगा, क्योंकि वो लिस्ट सही नहीं है. जिस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार पर कई सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि सरकार की लिस्ट के मुताबिक 1996 में इलाके में 511 इंडस्ट्री थीं. अब ये बढ़कर 1167 हो गई हैं.
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साथ ही सवाल उठाए हैं कि अगर सरकार के पास ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) में इंडस्ट्रीज की संख्या सही नहीं थी. तो इसका मतलब है कि उसका विजन डाक्यूमेंट ड्राफ्ट ही गलत है. कोर्ट ने कहा कि अभी तक सरकार को ये ही नहीं पता है कि इस क्षेत्र में इंडस्ट्री कितनी चल रही हैं. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब सरकार द्वारा ताज महल के सरंक्षण के लिए बनाए गए एक्सपर्ट पैनल की सदस्य प्रोफेसर मीनाक्षी दोहते ने कोर्ट को बताया कि पहले राज्य सरकार ने उन्हें इलाके की इंडस्ट्री की लिस्ट दी थी, लेकिन बाद में कहा कि उसमें बदलाव किया जाएगा, क्योंकि वो लिस्ट सही नहीं है. जिस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार पर कई सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि सरकार की लिस्ट के मुताबिक 1996 में इलाके में 511 इंडस्ट्री थीं. अब ये बढ़कर 1167 हो गई हैं.
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