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This Article is From Apr 27, 2018

केस के आवंटन को लेकर शांति भूषण की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा केसों के आवंटन करने के मामले में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सीजेआई ही मास्टर ऑफ रोस्टर हैं.

केस के आवंटन को लेकर शांति भूषण की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा केसों के आवंटन करने के मामले में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सीजेआई ही मास्टर ऑफ रोस्टर हैं. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सीजेआई ही केसों का बंटवारा करे ये सबसे बेहतर विकल्प है, क्योंकि अगर कोलेजियम तय करेगा तो अलग-अलग जज कहेंगे कि फलां केस हमें दिया जाए और इससे हितों का टकराव होगा.

वहीं प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे ने कहा कि सीजेआई का मतलब कॉलेजियम होता है और जिस तरह से जजों के सिलेक्शन कॉलेजियम करता है, वैसे ही केसों का बंटवारा भी कॉलेजियम करे. उन्होंने कहा कि या फिर फुल कोर्ट बैठे और केसों के बंटवारे का फैसला करे. जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. 

चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर के तहत केसों के आवंटन पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने AG से केस में सहयोग मांगा था. कोर्ट ने सहयोग मांगा कि जजों की नियुक्ति का तरह क्या संवेदनशील केसों के आवंटन के मामले में CJI का मतलब कॉलेजियम होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर है. प्रथम दृष्टया हमें ये लगता है कि इन हाउस प्रक्रिया को दुरुस्त कर इसका हल हो सकता है, न्यायिक तरीके से नहीं. सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि केसों का आवंटन कैसे हो, कौन करे. सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सैंकडों केस आते हैं ऐसे में कॉलेजियम के पांचों जज ये तय करेंगे तो न्यायिक कामकाज कैसे होगा. ये तरीका व्यवहारिक नहीं लगता. जजों का काम सिर्फ न्याय देना नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान की सुरक्षा और कानून के शासन को बरकरार रखना है. सुप्रीम कोर्ट ने चार जजों की प्रेस कांफ्रेंस पर कुछ भी सुनने या बोलने से इंकार किया, कहा इस पर कोई बात नहीं करेंगे.
 

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