सुप्रीम कोर्ट के ही एक पूर्व जज के फैसले के खिलाफ अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के लिए खतरनाक बताते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिकाओं से कोई भी जज के फैसले के खिलाफ आकर खड़ा हो जाएगा।
दरअसल वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस सीके प्रसाद ने अपने कार्यकाल में जानकार को फायदा पहुंचाने के लिए गलत फैसला सुनाया। इसके लिए उन्हें ना केवल प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन के पद से हटाया जाए बल्कि एफआईआर दर्ज कर जांच भी कराई जाए।
शुक्रवार को हुई सुनवाई में प्रशांत भूषण की ओर से बहस करते हुए शांति भूषण ने कहा कि जस्टिस प्रसाद के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट की छवि खराब हो रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को अपने ही एक पूर्व जज को बचाना नहीं चाहिए।
लेकिन इसी दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि चाहे वो हाईकोर्ट का जज हो या फिर सुप्रीम कोर्ट का, उनके किसी फैसले पर इस तरह का कदम नहीं उठाया जा सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि इस मामले में पीड़ित पक्ष नहीं आया है और किसी अजनबी की याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
अपने फैसले में जस्टिस मिश्रा ने कहा कि इस तरह की याचिका न्यायपालिका के लिए खतरनाक हैं और ऐसे में कोई भी जज के खिलाफ खड़ा हो सकता है। अगर किसी को फैसले पर आपत्ति है तो वो कोर्ट में पुनर्विचार या फिर क्यूरेटिव पैटिशन दाखिल कर सकता है। इसके बाद ये याचिका खारिज कर दी गई।
गौरतलब है कि इस मामले में प्रशांत भूषण ने सीबीआई और सीवीसी को भी शिकायत दी थी और बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखी थी।
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