सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सीबीआई जज बीएच लोया की मौत मामले में एसआईटी जांच वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. याचिकाकर्ताओं को कड़ी फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी जांच वाली याचिका में कोई दम नहीं है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसी याचिकाओं के लिए कोर्ट के पास समय नहीं है. इससे कोर्ट का वक्त बर्बाद होता है.
जानिये सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा-
जानिये सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा-
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस याचिका में न तो तर्क है और न ही कोई दम.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जस्टिस लोया की मौत प्राकृतिक थी और यह ये याचिका आपराधिक अवमानना के समान है, मगर हम कोई कार्रवाई नहीं कर रहे.
- सुप्रीम कोर्ट ने PIL के दुरुपयोग की आलोचना की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, PIL का दुरुपयोग चिंता का विषय.
- याचिकाकर्ता का उद्देश्य जजों को बदनाम करना है. PIL शरारतपूर्ण उद्देश्य से दाखिल की गई, यह आपराधिक अवमानना है. यह न्यायपालिका पर सीधा हमला है.
- कोर्ट ने कहा कि राजनैतिक प्रतिद्वंद्विताओं को लोकतंत्र के सदन में ही सुलझाना होगा, कोर्ट में नहीं.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम उन न्यायिक अधिकारियों के बयानों पर संदेह नहीं कर सकते, जो जज लोया के साथ थे.
- याचिकाकर्ताओं ने याचिका के जरिए जजों की छवि खराब करने का प्रयास किया. कोर्ट कानून के शासन के सरंक्षण के लिए है.
- जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल एजेंडा वाले लोग कर रहे हैं. याचिका के पीछे असली चेहरा कौन है पता नहीं चलता.
- तुच्छ और मोटिवेटिड जनहित याचिकाओं से कोर्ट का वक्त खराब होता है. हमारे पास लोगों की निजी स्वतंत्रता से जुड़े बहुत केस लंबित हैं.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज लोया की मौत प्राकृतिक थी और इस पर कोर्ट को संदेह नहीं है.
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