सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
चेन्नई के एक सरकारी अस्पताल पर इलाज में लापरवाही करने पर 1.80 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने के बाद अब बारी फ्री इलाज करने वाले प्राइवेट डॉक्टरों की है।
सुप्रीम कोर्ट अब उस मामले की सुनवाई को तैयार हो गया है जिसमें कोलकाता के एक प्राइवेट डॉक्टर पर 12 साल की बच्ची के इलाज में लापरवाही का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट में आई इस याचिका में कहा गया है कि बच्ची को उल्टी होने पर डॉ. अभिजीत राय के पास ले जाया गया था। डॉक्टर ने फ्री इलाज के लिए कहा था, लेकिन बच्ची को गलत इंजेक्शन दे दिया। इसकी वजह से बच्ची की मौत हो गई।
ये मामला उपभोक्ता अदालत पहुंचा और 5 लाख रुपये का मुआवजा मांगा गया। लेकिन वहां याचिका ये कहकर खारिज कर दी गई कि डॉक्टर फ्री इलाज कर रहा था। इसके बाद अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में आया है। इससे पहले एक बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाज में लापरवाही के मामले में तमिलनाडु सरकार को एक युवती को 1.82 करोड़ रुपये बतौर मुआवजा देने के आदेश दिए हैं।
इस युवती के जन्म के वक्त हुई लापरवाही की वजह से उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 18 सालों में इलाज में खर्च हुए 42 लाख रुपये भी शामिल किए हैं। हालांकि सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ये मामला इलाज में लापरवाही का नहीं बनता।
सुप्रीम कोर्ट अब उस मामले की सुनवाई को तैयार हो गया है जिसमें कोलकाता के एक प्राइवेट डॉक्टर पर 12 साल की बच्ची के इलाज में लापरवाही का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट में आई इस याचिका में कहा गया है कि बच्ची को उल्टी होने पर डॉ. अभिजीत राय के पास ले जाया गया था। डॉक्टर ने फ्री इलाज के लिए कहा था, लेकिन बच्ची को गलत इंजेक्शन दे दिया। इसकी वजह से बच्ची की मौत हो गई।
ये मामला उपभोक्ता अदालत पहुंचा और 5 लाख रुपये का मुआवजा मांगा गया। लेकिन वहां याचिका ये कहकर खारिज कर दी गई कि डॉक्टर फ्री इलाज कर रहा था। इसके बाद अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में आया है। इससे पहले एक बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाज में लापरवाही के मामले में तमिलनाडु सरकार को एक युवती को 1.82 करोड़ रुपये बतौर मुआवजा देने के आदेश दिए हैं।
इस युवती के जन्म के वक्त हुई लापरवाही की वजह से उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 18 सालों में इलाज में खर्च हुए 42 लाख रुपये भी शामिल किए हैं। हालांकि सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ये मामला इलाज में लापरवाही का नहीं बनता।
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