दो महीने में RERA से जुड़े केस निस्तारित करें बॉम्बे हाईकोर्ट : सुप्रीम कोर्ट

रियल स्टेट (रेगुलेशन एंड डवलपमेंट) एक्ट 2016 यानी RERA को लेकर केंद्र सरकार की ट्रांसफर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.

दो महीने में RERA से जुड़े केस निस्तारित करें बॉम्बे हाईकोर्ट : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट.

नई दिल्ली:

रियल स्टेट रेगुलेशन एंड डवलपमेंट एक्ट 2016 यानी RERA को लेकर देश की अलग-अलग हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं को स्थानांतरित करने का मामले पर आज सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट को कहा कि इस मामले से संबंधित जो भी याचिकाएं हैं उनपर सुनवाई कर 2 महीने में निपटारा करें. सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे सभी हाई कोर्ट को कहा कि जहाँ इस मामले से संबंधित याचिकाएं दाखिल की गई हैं उनपर फिलहाल सुनवाई न करें. रियल स्टेट (रेगुलेशन एंड डवलपमेंट) एक्ट 2016 यानी RERA को लेकर केंद्र सरकार की ट्रांसफर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. केंद्र ने देशभर के अलग-अलग हाईकोर्ट में एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट या एक हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी. 

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देशभर के हाईकोर्ट में इस एक्ट को चुनौती दी गई है और कर्नाटक हाईकोर्ट, बॉम्बे हाईकोर्ट व अन्य समेत करीब 20 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में इन मामलों की सुनवाई हो या फिर किसी भी हाईकोर्ट में. दरअसल सरकार ने घर खरीदारों की रक्षा के लिए और वास्तविक निजी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने यह कानून बनाया है. रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) विधेयक, 2016 संसद की ओर से पिछले साल मार्च में पारित कर दिया गया था और इस साल 1 मईसे ही इस अधिनियम से जुड़ी 92 धाराएं प्रभावी हो गई हैं. 

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इसके तहत डेवलपर्स को अब उन चल रही परियोजनाओं को पूरा करना होगा, जिन्हें पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. साथ ही नए लॉन्च होने वाले प्रोजेक्ट्सम का रजिस्ट्रेशन भी 3 महीने के भीतर प्राधिकरण में कराना होगा. रेरा के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्राधिकरण बनाना अनिवार्य है. भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र के अंतर्गत कुल 76,000 कंपनियां शामिल हैं. परियोजनाओं और रियल एस्टेट एजेंटों के अनिवार्य पंजीकरण के अलावा इस अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधानों में परियोजना के निर्माण के लिए एक अलग बैंक खाते में खरीदार से एकत्रित धन का 70 फीसदी हिस्सा जमा कराना शामिल है. यह परियोजना के समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करेगा क्योंकि केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए ही धन निकाला जा सकता है.

केन्द्र की याचिका में कहा गया है कि रेरा कानून देश भर में रियल इस्टेट सेक्टर में समान नियम कानून लागू करने और उपभोक्ताओं तथा अन्य संबंधित पक्षकारों के हित सुरक्षित रखने के लिए लाया गया है. इसमें नियमों का उल्लंघन करने पर पेनाल्टी का प्रावधान है. कानून का उद्देश्य इको सिस्टम को बेहतर बनाना और उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित रखना है. साथ ही रियल इस्टेट बिजनेस को ज्यादा पारदर्शी और नैतिक बनाना है. ये कानून पिछले प्रभाव से लागू नहीं है.

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ये सिर्फ निर्माणाधीन उन्हीं परियोजनाओं पर लागू होता है जिन्हें एक मई 2017 तक कंप्लीटेशन (पूर्णता) प्रमाणपत्र नहीं जारी हुआ है. जिन परियोजनाओं को 1 मई तक कंप्लीटेशन प्रमाणपत्र मिल चुका है उन पर इस कानून के प्रावधान नहीं लागू होते.


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