प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने देशभर में पटाखों की बिक्री पर बैन का विरोध किया है. केंद्र ने कहा कि पटा़खों की बिक्री पर रोक की बजाए उन्हें नियंत्रित करना जरूरी है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पटाखों के उत्पादन को लेकर नियम बनाना बेहतर कदम होगा. एल्युमिनियम और बेरियम जैसी सामग्री का इस्तेमाल रोकना सही होगा. ये तय किया जाए कि पटाखों में तय मानक से ज्यादा आवाज ना हो. उनमें प्रदूषण फैलाने वाले पदार्थ ना हों. इसके लिए फैक्टरियों में ही जांच की व्यवस्था हो. वहीं तमिलनाडु सरकार, पटाखा उत्पादकों और विक्रेताओं ने कहा, 'बिना किसी ठोस वैज्ञानिक रिसर्च के कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में पटाखों की बिक्री रोक दी थी. इससे लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ. प्रदूषण के लिए पटाखों से ज़्यादा कई दूसरी चीज़ें ज़िम्मेदार हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि ये कैसे तय किया जाएगा कि पटाखों में कोई भी हानिकारक पदार्थ नहीं है. ये सुनवाई अगले मंगलवार को जारी रहेगी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट तीन बच्चों की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें पूरे देश में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है. पिछले साल कोर्ट ने दीवाली पर दिल्ली और NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी. गौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिग्री को लेकर टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि हमें पता है कि दीपावली पटाखा मुक्त नहीं होने वाली, लोग पटाखे जलाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम अपने आदेश में बदलाव करते हैं तो यह आदेश की आत्मा के खिलाफ होगा.
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कोर्ट ने कहा कि हमें पीड़ा है कि कुछ लोग इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ लोग राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे है. जस्टिस सिकरी ने कहा कि सबको पता है कि मैं कितना धार्मिक हूं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि 11 बजे के बाद पटाखें नहीं छोड़े जाएं. ध्यान हो कि दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट का बिक्री पर रोक के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने पटाखा विक्रेताओं की कुछ घंटे बिक्री की इजाजत देने की मांग को ठुकरा दिया है. कोर्ट ने कहा कि हमें पीड़ा हो रही है कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.
VIDEO: दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर बैन.
कोर्ट ने कहा था कि लोगों के पास पहले से पटाखे हैं वो काफी हैं. अब वक्त नहीं दिया जा सकता. याचिकाकर्ता चाहें तो दिवाली के बाद संशोधन के लिए आ सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि अभी भी आदेश के बावजूद पटाखे बिक रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक जारी रहेगी या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्तूबर को दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद पटाखा व्यापारियों और इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रोक हटाने की मांग की गई थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि ये कैसे तय किया जाएगा कि पटाखों में कोई भी हानिकारक पदार्थ नहीं है. ये सुनवाई अगले मंगलवार को जारी रहेगी. दरअसल सुप्रीम कोर्ट तीन बच्चों की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें पूरे देश में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है. पिछले साल कोर्ट ने दीवाली पर दिल्ली और NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी. गौरतलब है कि इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिग्री को लेकर टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि हमें पता है कि दीपावली पटाखा मुक्त नहीं होने वाली, लोग पटाखे जलाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम अपने आदेश में बदलाव करते हैं तो यह आदेश की आत्मा के खिलाफ होगा.
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कोर्ट ने कहा कि हमें पीड़ा है कि कुछ लोग इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं और कुछ लोग राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे है. जस्टिस सिकरी ने कहा कि सबको पता है कि मैं कितना धार्मिक हूं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि 11 बजे के बाद पटाखें नहीं छोड़े जाएं. ध्यान हो कि दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट का बिक्री पर रोक के आदेश में संशोधन करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने पटाखा विक्रेताओं की कुछ घंटे बिक्री की इजाजत देने की मांग को ठुकरा दिया है. कोर्ट ने कहा कि हमें पीड़ा हो रही है कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है.
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कोर्ट ने कहा था कि लोगों के पास पहले से पटाखे हैं वो काफी हैं. अब वक्त नहीं दिया जा सकता. याचिकाकर्ता चाहें तो दिवाली के बाद संशोधन के लिए आ सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने अखबार में पढ़ा है कि अभी भी आदेश के बावजूद पटाखे बिक रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक जारी रहेगी या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्तूबर को दिल्ली-NCR में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद पटाखा व्यापारियों और इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रोक हटाने की मांग की गई थी.
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