पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कोयला घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुमार मंगलम बिड़ला मामले की 21 सितंबर को होने वाली सुनवाई को हटा दिया गया है।
मनमोहन सिंह के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि उनका मामला प्रिवेंशन ऑफ करप्शन के तहत है। उसका कोल घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस मामले को 21 सितंबर को होने वाली सुनवाई को हटा रहे हैं। यानी अब सुप्रीम कोर्ट की कौन-सी बेंच मामले की सुनवाई करेगी, चीफ जस्टिस तय करेंगे।
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक आवंटन मामले में उन्हें बतौर आरोपी समन किए जाने के एक स्पेशल कोर्ट के समन के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट की कोल बेंच सुनवाई कर रही थी।
1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अलग से दाखिल उस आग्रह पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया था, जिसमें भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
मनमोहन सिंह ने याचिका में कहा था कि तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन के पीछे आपराधिक इरादा नहीं था, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता। यह महज एक प्रशासनिक फैसला था, जिसे एक लंबी प्रक्रिया के तहत लिया गया।
विशेष अदालत ने 11 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख और तीन अन्य को आरोपी के तौर पर समन जारी किए और 8 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था। ये मामला 2005 में हिंडाल्को को ओडिशा में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन करने से जुड़ा है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार था। कोयला घोटाले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें पूर्व प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री मनमोहन सिंह के साथ बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी परख, हिंडाल्को के एमडी शुभेन्दु अमिताभ, हिंडाल्को के एमडी डी भट्टाचार्य का नाम शामिल हैं। अदालत ने आपराधिक साजिश, विश्वासघात और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत इन सभी को समन किया।
मनमोहन सिंह के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि उनका मामला प्रिवेंशन ऑफ करप्शन के तहत है। उसका कोल घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह इस मामले को 21 सितंबर को होने वाली सुनवाई को हटा रहे हैं। यानी अब सुप्रीम कोर्ट की कौन-सी बेंच मामले की सुनवाई करेगी, चीफ जस्टिस तय करेंगे।
दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोल ब्लॉक आवंटन मामले में उन्हें बतौर आरोपी समन किए जाने के एक स्पेशल कोर्ट के समन के खिलाफ अपील पर सुप्रीम कोर्ट की कोल बेंच सुनवाई कर रही थी।
1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाला मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर भी रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अलग से दाखिल उस आग्रह पर केंद्र को नोटिस भी जारी किया था, जिसमें भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
मनमोहन सिंह ने याचिका में कहा था कि तालाबीरा कोल ब्लॉक आवंटन के पीछे आपराधिक इरादा नहीं था, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत आरोप नहीं लगाया जा सकता। यह महज एक प्रशासनिक फैसला था, जिसे एक लंबी प्रक्रिया के तहत लिया गया।
विशेष अदालत ने 11 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी पारख और तीन अन्य को आरोपी के तौर पर समन जारी किए और 8 अप्रैल को पेश होने के लिए कहा था। ये मामला 2005 में हिंडाल्को को ओडिशा में तालाबीरा-2 कोयला ब्लाक आवंटन करने से जुड़ा है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री के पास उस समय कोयला मंत्रालय का प्रभार था। कोयला घोटाले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें पूर्व प्रधानमंत्री और कोयला मंत्री मनमोहन सिंह के साथ बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला, पूर्व कोयला सचिव पीसी परख, हिंडाल्को के एमडी शुभेन्दु अमिताभ, हिंडाल्को के एमडी डी भट्टाचार्य का नाम शामिल हैं। अदालत ने आपराधिक साजिश, विश्वासघात और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत इन सभी को समन किया।
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