सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर लगी रोक हटा दी है. सीबीआई ही मामले की जांच करेगी. कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को कहा है कि इस मामले में सुनवाई न करे. सीबीआई इस मामले में तेजी से जांच करे.
सीबीआई ने अर्जी दाखिल कर उस आदेश में संशोधन का अनुरोध किया था, जिसमें सनसनीखेज बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार मामले की जांच पर रोक लगाई गई थी. सीबीआई ने कहा कि इससे महत्वपूर्ण सबूत गायब हो सकते हैं और छह आरोपी वैधानिक जमानत मांग सकते हैं.
याचिका में कहा गया है कि जांच पूरी करने के लिए सीआरपीसी की धारा 167 के तहत दी गई 90 दिन की समय सीमा नहीं रुकेगी और यह जांच के लिए पूर्वाग्रह पैदा करेगी तथा 90 दिन की समयसीमा खत्म होने पर संदिग्धों को जमानत का दावा करने का अधिकार मिल जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को इस मामले में सीबीआई जांच पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार के मंत्री आजम खान की इस विवादित टिप्पणी पर नाराजगी जताई थी कि सामूहिक बलात्कार मामला राजनीतिक साजिश है. सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान की टिप्पणियों पर यूपी सरकार और आजम खान को नोटिस जारी करते वक्त फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या प्रशासनिक स्तर पर बैठा या सरकार के अहम ओहदे पर बैठा व्यक्ति यह कह सकता है कि इस तरह की घटनाएं राजनीतिक साजिश के तहत होती हैं. जबकि घटना से व्यक्ति का कोई लेना-देना न हो.
क्या राज्य सरकार और कानून व्यवस्था को बरकरार रखने की जिम्मेदारी वाला शख्स ऐसे बयानों की अनुमति दे सकता है, जिसका असर पीड़िता पर पड़ेगा और वह निष्पक्ष जांच में अपना विश्वास खो देगी. क्या यह संविधान द्वारा दिए गए बोलने के अधिकार की सीमा को पार करना नहीं.
सीबीआई ने अर्जी दाखिल कर उस आदेश में संशोधन का अनुरोध किया था, जिसमें सनसनीखेज बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार मामले की जांच पर रोक लगाई गई थी. सीबीआई ने कहा कि इससे महत्वपूर्ण सबूत गायब हो सकते हैं और छह आरोपी वैधानिक जमानत मांग सकते हैं.
याचिका में कहा गया है कि जांच पूरी करने के लिए सीआरपीसी की धारा 167 के तहत दी गई 90 दिन की समय सीमा नहीं रुकेगी और यह जांच के लिए पूर्वाग्रह पैदा करेगी तथा 90 दिन की समयसीमा खत्म होने पर संदिग्धों को जमानत का दावा करने का अधिकार मिल जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को इस मामले में सीबीआई जांच पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार के मंत्री आजम खान की इस विवादित टिप्पणी पर नाराजगी जताई थी कि सामूहिक बलात्कार मामला राजनीतिक साजिश है. सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान की टिप्पणियों पर यूपी सरकार और आजम खान को नोटिस जारी करते वक्त फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या प्रशासनिक स्तर पर बैठा या सरकार के अहम ओहदे पर बैठा व्यक्ति यह कह सकता है कि इस तरह की घटनाएं राजनीतिक साजिश के तहत होती हैं. जबकि घटना से व्यक्ति का कोई लेना-देना न हो.
क्या राज्य सरकार और कानून व्यवस्था को बरकरार रखने की जिम्मेदारी वाला शख्स ऐसे बयानों की अनुमति दे सकता है, जिसका असर पीड़िता पर पड़ेगा और वह निष्पक्ष जांच में अपना विश्वास खो देगी. क्या यह संविधान द्वारा दिए गए बोलने के अधिकार की सीमा को पार करना नहीं.
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