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This Article is From Sep 19, 2016

सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर पूछा- क्यों न जमानत रद्द की जाए

सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर पूछा- क्यों न जमानत रद्द की जाए
बाहुबली नेता शहाबुद्दीन (फाइल फोटो)
  • हत्या के मामले में जेल में बंद शहाबुद्दीन को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दी थी
  • बिहार सरकार ने कहा, शहाबुद्दीन आम अपराधी नहीं, जेल से बाहर नहीं रख सकते
  • बेल के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन का पक्ष मांगा
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नई दिल्ली: बिहार के बाहुबली और RJD नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत याचिका रद्द करने की याचिका से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन को नोटिस जारी कर पूछा- क्यों ना जमानत के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी जाए. इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी.

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार किया. कोर्ट ने कहा कि शहाबुद्दीन का पक्ष भी सुना जाएगा. हालांकि बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि शहाबुद्दीन के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जाए. वह कोई सामान्य अपराधी नहीं है, उसे जेल से बाहर नहीं रखा जा सकता है.

बिहार में मारे गए तीन भाइयों के पिता चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदाबाबू ने याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है. इसके बाद बिहार सरकार भी आननफानन में कोर्ट में पहुंच गई. शहाबुद्दीन को पिछले 7 सितंबर को पटना हाईकोर्ट ने जमानत दी थी.

गौरतलब है कि वर्ष 2004 में दो भाइयों गिरीश और सतीश की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन को दिसंबर 2015 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. मामले में इकलौते गवाह मृतकों के भाई राजीव रोशन की भी 16 जून 2014 को हत्या कर दी गई थी.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पटना हाईकोर्ट का जमानत देने का आदेश कानून का मजाक उड़ाना है, क्योंकि हत्या के केस में अभी तक गवाहों के बयान भी दर्ज नहीं हुए हैं. साथ ही हाईकोर्ट ने इस तथ्य को भी अनदेखा कर दिया कि शहाबुद्दीन पर 13 मई 2016 को सिवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या का भी आरोप है. इसके अलावा 18 मई 2016 को सिवान जेल में छापे के दौरान उसके पास से 40 मोबाइल भी बरामद हुए थे.

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