TMC के मुकुल रॉय की बंगाल विधानसभा में लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के स्पीकर से मुकुल रॉय के बीजेपी से TMC में शामिल होने के बाद उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिकाओं पर तेजी से फैसला करने को कहा. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि अयोग्यता वाली याचिकाओं पर निर्णय में देरी करने के लिए राज्यों के विधान सभा अध्यक्षों की प्रवृत्ति रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को जनवरी के तीसरे हफ्ते तक फैसला करने का इशारा किया है. जस्टिस एलएन राव और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.
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सुनवाई के दौरान जस्टिस एलएन राव ने कहा, हम अभी नवंबर में हैं. हाईकोर्ट का फैसला सितंबर में आया था. तब से क्या हुआ है? क्या स्पीकर ने फैसला पारित कर दिया है? हाईकोर्ट ने सात अक्टूबर तक स्पीकर से आदेश पारित करने को कहा था. पिछले 20-25 वर्षों से ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां अयोग्यता याचिकाओं पर स्पीकर की ओर से फैसले में देरी हुई है.
बंगाल विधानसभा स्पीकर के लिए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, स्पीकर को उचित समय में निर्णय लेने दें. उनको सभी पक्षों को सुनना होगा. हाईकोर्ट ने जिस तरह से फैसला दिया है तो क्या कोर्ट स्पीकर को माइक्रोमैनेज करेंगे?
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बीजेपी नेता अंबिका रॉय के वकील ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में यह अपील दायर करने वाले विधानसभा स्पीकर का असली मकसद मामले में एक और साल की देरी करना है.
बंगाल विधानसभा स्पीकर ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 28 सितंबर के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाईकोर्ट उन्हें 7 अक्टूबर तक मुकुल रॉय की अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था. मामला स्थगित हो गया और 21 दिसंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट में अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.
भाजपा विधायक अंबिका रॉय ने कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मुकुल रॉय को इस आधार पर अयोग्य ठहराने की मांग की थी कि वह भाजपा से TMC में शामिल हो गए हैं.
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