
कर्नाटक सरकार ने जयललिता को भी दोषी करार देने की मांग की थी. (फाइल फोटो)
- सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है.
- शशिकला, उनके दो रिश्तेदारों को सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई थी.
- नियमों के मुताबिक- कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर चेंबर में विचार करता है.
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नई दिल्ली:
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है.
कर्नाटक सरकार ने जयललिता को भी दोषी करार देने और ट्रायल कोर्ट के 100 करोड़ के जुर्माने को बरकरार रखने की मांग की थी. फरवरी में ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई थी, लेकिन जयललिता के निधन की वजह से उन्हें अलग कर दिया था, लेकिन कर्नाटक सरकार ने पुनर्विचार याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक जयललिता जीवित थीं इसलिए यह फैसला उन पर भी लागू होना चाहिए और कोर्ट उनकी संपत्ति जब्त कर 100 करोड़ का जुर्माना वसूलने के आदेश जारी करें. नियमों के मुताबिक- कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर चेंबर में विचार करता है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमने कर्नाटक सरकार की याचिका पर मेरिट के आधार पर गौर किया. हमने ये पाया कि 14 फरवरी 2017 के आदेश में बदलाव करने की जरूरत नहीं है, इसलिए मेरिट के आधार पर याचिका को खारिज किया जाता है.
कर्नाटक सरकार ने जयललिता को भी दोषी करार देने और ट्रायल कोर्ट के 100 करोड़ के जुर्माने को बरकरार रखने की मांग की थी. फरवरी में ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई थी, लेकिन जयललिता के निधन की वजह से उन्हें अलग कर दिया था, लेकिन कर्नाटक सरकार ने पुनर्विचार याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक जयललिता जीवित थीं इसलिए यह फैसला उन पर भी लागू होना चाहिए और कोर्ट उनकी संपत्ति जब्त कर 100 करोड़ का जुर्माना वसूलने के आदेश जारी करें. नियमों के मुताबिक- कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर चेंबर में विचार करता है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हमने कर्नाटक सरकार की याचिका पर मेरिट के आधार पर गौर किया. हमने ये पाया कि 14 फरवरी 2017 के आदेश में बदलाव करने की जरूरत नहीं है, इसलिए मेरिट के आधार पर याचिका को खारिज किया जाता है.
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