सुप्रीम कोर्ट ने माना, संसद के काम में हस्तक्षेप ‘लक्ष्मण रेखा’ का उल्लंघन

सुप्रीम कोर्ट ने माना, संसद के काम में हस्तक्षेप ‘लक्ष्मण रेखा’ का उल्लंघन

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने बगैर किसी व्यवधान के संसद का कामकाज सुनिश्चित करने हेतु दिशा-निर्देश बनाने के लिए दायर जनहत याचिका खारित करते हुए गुरुवार को कहा कि न्यायपालिका विधायिका के कामकाज की निगरानी नहीं कर सकती क्योंकि यह अध्यक्ष के हाथों में है और ऐसा करने के किसी भी प्रयास का मतलब ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघना होगा।

प्रधान न्यायाधीस ने वकील से जताई आपत्ति
प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस तरह के मसले सामने लाए जाने पर आपत्ति करते हुए इस याचिका पर बहस कर रहे वकील से कहा, ‘‘क्या आपने अपना घर (न्यायालय) साफ सुथरा रखा है।’’

अपने घर को साफ करें
प्रधान न्यायाधीश ने मद्रास उच्च न्यायालय की हाल की घटनाओं के संदर्भ में कहा, ‘शायद आपको मालूम नहीं है। प्रधान न्यायाधीश के रूप में मुझे पता है। कितने घरों को (न्यायालयों) आपने साफ सुथरा रखा है।’ इस घटना में वकीलों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ नारे लगाते हुए न्यायालय की कार्यवाही में बाधा डाली थी।

संसद की कार्यवाही में दखल सीमा उल्लंघन
इस वकील ने जब प्रधान न्यायाधीश को यह कहते हुए संतुष्ट करने का प्रयास किया कि देश की सर्वोच्च अदालत साफ-सुथरी है तो न्यायमूर्ति दत्तू ने उसे टोका और कहा कि संसद की कार्यवाही के मामलो में शीर्ष अदालत के दखल देने का मतलब अपनी सीमा लांघना होगा।

संसद की निगरानी नहीं कर सकते
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘हम संसद की निगरानी नहीं कर सकते। सदन के अध्यक्ष को पता है कि सदन के कामकाज का प्रबंधन कैसे करना है। हमें अपनी लक्ष्मण रेखा की जानकारी होनी चाहिए। हमें कभी भी यह कहने के लिए अपनी सीमा से बाहर नहीं जाना चाहिए कि संसद की कार्यवाही का संचालन इस तरह से हो और इस तरह से नहीं हो। नहीं, हम ऐसा नहीं कह सकते हैं।’

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

यही नहीं, पीठ ने गैर-सरकारी संगठन फाउण्डेशन फार रिस्टोरेशन ऑफ नेशनल वैल्यूज की जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘लोकतंत्र में, सांसदों को पता है कि कैसे काम करना है। हम उन्हें शिक्षित करने के लिए यहां नहीं बैठे हैं। वे बेहतर तरीके से जानते हैं।’