नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य सरकार से पूछा कि 13 जिलों में से कौन से जिले पूरी तरह पहाड़ी इलाक़े हैं. एक हफ्ते के भीतर उत्तराखंड सरकार को कोर्ट में बताना है कि 13 जिलों में कितनी शराब की दुकानें थी. उससे सरकार को कितनी आमदनी होती थी.
दरअसल उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि उसे भी सिक्किम और मेघालय की तरह कोर्ट के आदेश से बाहर रखा जाए. वहीं, अरुणाचल प्रदेश को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश को सिक्किम और मेघालय की तरह कोर्ट के आदेश से बाहर रख दिया है. जिसका मतलब है वहाँ राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे 500 मीटर दूरी का कोर्ट का फैसला लागू नही होगा.
अंडमान और निकोबार को भी सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत सिक्किम और मेघालय की तरह कोर्ट के आदेश से बाहर रखा गया है. दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी. हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी. यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया था जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे.
सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के अपने आदेश में बदलाव करे या नहीं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने होटल मालिकों की याचिका को खारिज करते हुए कहा था वो केवल केरल, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, राज्य सरकारों और चंडीगढ़ UT की याचिका पर सुनवाई की.
इससे पहले CJI खेहर ने कहा था कि सोचिए कि किसी व्यक्ति की सडक दुर्घटना में जान चली जाती है तो उसके परिवार पर क्या बीतती है. खास तौर पर मरने वाला व्यक्ति परिवार के लिए रोटी कमाने वाला इकलौता जरिया हो.
एक जनहित याचिका पंजाब और तमिलनाडू के लिए दाखिल की गई थी लेकिन आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिए गए. हर प्रदेश के अलग अलग हालात हैं. अगर पहाडी इलाकों में इस नियम का पालन करेंगे तो 500 मीटर में तो पहाड आ जाएगा. उसी तरह गोवा जैसे समुद्री इलाकों में 500 मीटर में समुद्र आ जाएगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों का पालन करना मुश्किल हो जाएगा.
दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बडा फैसला दिया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी. हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी. यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया था जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे.
दरअसल उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि उसे भी सिक्किम और मेघालय की तरह कोर्ट के आदेश से बाहर रखा जाए. वहीं, अरुणाचल प्रदेश को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश को सिक्किम और मेघालय की तरह कोर्ट के आदेश से बाहर रख दिया है. जिसका मतलब है वहाँ राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे 500 मीटर दूरी का कोर्ट का फैसला लागू नही होगा.
अंडमान और निकोबार को भी सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत सिक्किम और मेघालय की तरह कोर्ट के आदेश से बाहर रखा गया है. दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी. हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी. यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया था जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे.
सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानों पर रोक के अपने आदेश में बदलाव करे या नहीं. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने होटल मालिकों की याचिका को खारिज करते हुए कहा था वो केवल केरल, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, राज्य सरकारों और चंडीगढ़ UT की याचिका पर सुनवाई की.
इससे पहले CJI खेहर ने कहा था कि सोचिए कि किसी व्यक्ति की सडक दुर्घटना में जान चली जाती है तो उसके परिवार पर क्या बीतती है. खास तौर पर मरने वाला व्यक्ति परिवार के लिए रोटी कमाने वाला इकलौता जरिया हो.
एक जनहित याचिका पंजाब और तमिलनाडू के लिए दाखिल की गई थी लेकिन आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए दिए गए. हर प्रदेश के अलग अलग हालात हैं. अगर पहाडी इलाकों में इस नियम का पालन करेंगे तो 500 मीटर में तो पहाड आ जाएगा. उसी तरह गोवा जैसे समुद्री इलाकों में 500 मीटर में समुद्र आ जाएगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों का पालन करना मुश्किल हो जाएगा.
दरअसल पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बडा फैसला दिया था कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से 500 मीटर तक शराब की दुकानें नहीं होंगी. हालांकि उसमें यह भी साफ किया गया कि जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी. यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की दुकानें नहीं होंगी.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सुनाया था जिसमें गुहार की गई थी कि उत्पाद कानून में संशोधन करने का निर्देश दिया जाए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो. इस पर हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे.
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