पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ साज़िश की आशंका को नकारा नहीं जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगोई पर क्या यौन उत्पीड़न के आरोप लगाना किसी साजिश का हिस्सा था?  क्या ये सब बेंच फिक्सिंग के लिए किया गया ?  सुप्रीम कोर्ट इसी मामले की जांच कर रहा था, जिसकी सुनवाई अब बंद कर दी गई है.

पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ साज़िश की आशंका को नकारा नहीं जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

रंजन गोगोई के खिलाफ केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

पूर्व CJI जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) पर क्या यौन उत्पीड़न के आरोप लगाना किसी साजिश का हिस्सा था?  क्या ये सब बेंच फिक्सिंग के लिए किया गया ?  सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) इसी मामले की जांच कर रहा था, जिसकी सुनवाई अब बंद कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने  2019 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एके पटनायक को बड़ी साजिश के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया था. जस्टिस पटनायक अपनी रिपोर्ट दाखिल कर चुके हैं. SC ने कहा था कि ये पैनल जस्टिस गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों में नहीं जाएगा. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इसकी सुनवाई करेगी. दरअसल वकील उत्सव बैंस ने आरोप लगाया था कि सीजेआई जस्टिस गोगोई को फंसाने की साजिश रची गई थी और ये सब कुछ कॉरपोरेट ने किया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी.

जानें रिपोर्ट को लेकर क्या कहा गया

न्यायमूर्ति एके पटनायक समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2019 में पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप साजिशन हो सकते हैं , इससे इंकार नहीं किया जा सकता. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह न्यायिक और प्रशासनिक पक्ष में CJI द्वारा उठाए गए कड़े रुख के कारण हो सकता है.जस्टिस पटनायक कमेटी की रिपोर्ट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान से मामले का निपटारा किया. सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पूर्व जस्टिस ए के पटनायक की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी. जस्टिस पटनायक कमेटी ने अक्टूबर 2019 में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की बंद

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जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट में पूर्व CJI के खिलाफ साजिश के अस्तित्व को स्वीकार किया गया है और इसे खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन पैनल विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्राप्त करने में असमर्थ रहा. IB के निदेशक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जस्टिस गोगोई नागरिकों पर नेशनल रजिस्टर से जुड़े मामलों में गंभीरता से विचार कर रहे हैं. IB निदेशक की रिपोर्ट कहती है कि कुछ लोग इस फैसले से नाखुश हैं. हम इस विचार के हैं कि कोई भी सच्चा उद्देश्य नहीं दिया जाएगा. मामले मे सुनवाई बंद की जाती है. रिपोर्ट को सील कवर में रखा जाना चाहिए. दो साल बीत चुके हैं और इस स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की जांच होने की संभावना नहीं है.