नई दिल्ली:
डायरी गेट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी से पूछा है कि सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के खिलाफ जांच में वह किस तरह से मदद कर सकता है। सिन्हा पर आरोप है कि उन्होंने आरोपियों से अपने घर पर मुलाकात की थी और कोल ब्लाक केस की छानबीन में दखल की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की 7 सितंबर को सुनवाई करेगा।
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि वह सीवीसी से बात करने के बाद कोर्ट को इस बाबत अवगत कराएंगे कि क्या सीवीसी ऑफिस जांच कर सकता है या नहीं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सिन्हा के खिलाफ जांच पुलिस की जांच की तरह होगी। उन्होंने कहा कि सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर के खिलाफ जांच के लिए अपनी सहमति दे चुके सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर एमएल शर्मा ने छानबीन के लिए छह अंकों में सैलरी , गाड़ी,ऑफिस और जांच के लिए दो दर्जन अफसरों की मांग की है। साथ ही कहा है कि उन्हें लोगों को समन करने के लिए समन का अधिकार दिया जाना चाहिए। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह सीवीसी से संपर्क के बाद सूचित करेंगे कि उनका ऑफिसर जांच में सहयोग कर सकता है या नहीं।
याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला गंभीर है और इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस संतोष हेगड़े या फिर यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह जैसे अनुभवी लोगों को सौंपी जानी चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर एमएल शर्मा का सेलेक्शन किया है। 14 मई को सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा की कोल ब्लॉक व 2 जी मामलों के आरोपियों से कथित मुलाकात को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित करार देते हुए कहा था कि इस मामले की जांच की दरकार है। अदालत ने इस मामले में सीवीसी से सहयोग करने के लिए कहा था। भूषण की दलील थी कि सिन्हा के घर के बाहर जो विजिटर डायरी थी उसकी इंट्री से साफ है कि उन्होंने कोल ब्लॉक मामले के आरोपियों से मुलाकात की थी।
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि वह सीवीसी से बात करने के बाद कोर्ट को इस बाबत अवगत कराएंगे कि क्या सीवीसी ऑफिस जांच कर सकता है या नहीं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सिन्हा के खिलाफ जांच पुलिस की जांच की तरह होगी। उन्होंने कहा कि सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर के खिलाफ जांच के लिए अपनी सहमति दे चुके सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर एमएल शर्मा ने छानबीन के लिए छह अंकों में सैलरी , गाड़ी,ऑफिस और जांच के लिए दो दर्जन अफसरों की मांग की है। साथ ही कहा है कि उन्हें लोगों को समन करने के लिए समन का अधिकार दिया जाना चाहिए। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह सीवीसी से संपर्क के बाद सूचित करेंगे कि उनका ऑफिसर जांच में सहयोग कर सकता है या नहीं।
याचिकाकर्ता एनजीओ की ओर से पेश एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला गंभीर है और इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस संतोष हेगड़े या फिर यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह जैसे अनुभवी लोगों को सौंपी जानी चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर एमएल शर्मा का सेलेक्शन किया है। 14 मई को सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर रंजीत सिन्हा की कोल ब्लॉक व 2 जी मामलों के आरोपियों से कथित मुलाकात को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित करार देते हुए कहा था कि इस मामले की जांच की दरकार है। अदालत ने इस मामले में सीवीसी से सहयोग करने के लिए कहा था। भूषण की दलील थी कि सिन्हा के घर के बाहर जो विजिटर डायरी थी उसकी इंट्री से साफ है कि उन्होंने कोल ब्लॉक मामले के आरोपियों से मुलाकात की थी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं