छत्तीसगढ़ के सुकमा में सोमवार को हुए नक्सली हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 14 जवान शहीद हुए, और कई अन्य घायल हो गए।
सीआरपीएफ जवानों की एक टुकड़ी नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाकर अपने कैम्प लौट रही थी, तभी माओवादियों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया और गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।
एनडीटीवी की टीम ने अस्पताल में भर्ती एक घायल जवान चंदन कुमार से मुलाकात की, तो उसने पूरी घटना के बारे में बताया कि यह सब कैसे हुआ। इस जवान ने यह भी बताया कि जांघ में गोली लगने के बावजूद वह नौ किलोमीटर पैदल चलकर अपने कैम्प में वापस पहुंचा।
चंदन कुमार ने कहा, "हमारा मिशन है, छत्तीसगढ़ में शांति बनाए रखना... लेकिन जो नक्सली हैं, वे महिलाओं और बच्चों का सहारा लेते हैं... इस हमले के दौरान गांव में जितने भी घर बंद थे, नक्सली उन्हीं में छिपे हुए थे, और घर के बाहर एक बूढ़ी औरत को बिठा देते थे..."
चंदन के अनुसार, "हमारे पास अधिकार नहीं हैं कि हम सिविलियनों (आम नागरिकों) को हाथ लगा सकें... वैसे, हम करीब 200 जवान थे, और जब हम गांव से निकल रहे थे, तभी हम पर फायरिंग शुरू हो गई, और बूढ़े और बच्चे हमारी तरफ दौड़कर आने लगे, जिसका फायदा उठाकर उन्होंने बच्चों-बूढ़ों के पीछे से हम पर फायरिंग कर दी... हम पर चारों तरफ से फायरिंग की जा रही थी, और जवाबी कार्रवाई में हमने भी 20-25 नक्सलियों को मार गिराया..."
घायल जवान चंदन कुमार ने बताया, "हम लोग गोली लग जाने के बाद भी फायरिंग करते रहे थे... यहां तक कि गोली लगने के बाद मैं नौ किलोमीटर तक चला हूं..."
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