वाराणसी : हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि काशी मोक्ष की नगरी है। भगवान शंकर यहां के मणिकर्णिका शमशान में आने वाले हर शव के कान में तारक मंत्र देते हैं, जिससे उस जीव का इस सांसारिक लोक में आवागम से झुटकारा मिल जाता है। इसी वजह से यहां लोग सदियों से देह त्याग की कामना लेकर काशी में रहते चले आ रहे हैं। जो लोग यहां देह नहीं त्याग कर पाते उनके परिजन भी अंतिम संस्कार के लिए दूर-दूर से यहां मणिकर्णिका घाट आते हैं।
गाड़ियों से अपने परिजनों का शव लेकर यहां आने वाले लोगों को बनारस के जाम और गलियों में घंटों का सफर तय करना पड़ता है, जिससे उन्हें परेशानी होती है। उनकी इस परेशानी को निजात दिलाने के लिए गंगा में शवों को ले जाने के लिए स्टीमर की शुरुआत हुई है। इस स्टीमर का नाम जल शव वाहिनी रखा गया है।
यह स्टीमर बनारस के भैंसासुर घाट से शवों को मणिकर्णिका या उनकी इच्छानुसार हरिश्चंद्र घाट तक ले आएंगे। इस स्टीमर में शव के अलावा 35 लोगों के बैठने की क्षमता है। इसमें एक स्पीकर भी लगा है, जिससे राम नाम सत्य की ध्वनि निकलती रहेगी।
शनिवार को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और मोरारी बापू ने इस स्टीमर सेवा की शुरुवात की। इस जल शव वाहिनी स्टीमर को गुजरात के एक उद्योगपति ने दिया है। अभी दो स्टीमर आए हैं, जबकि चार और आने वाले हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं