भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यनन (Arvind Subramanian) ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 (Covid-19) के टीके की पूरी लागत केन्द्र को वहन करनी चाहिये और इसका बोझ राज्यों पर नहीं डाला जाना चाहिए. उन्होंने भारत में कोविड-19 टीके की मूल्य नीति को जटिल और राजनीति से भरा बताया. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने 19 अप्रैल को घोषणा की कि एक अप्रैल से टीकाकरण अभियान (Vaccination Campaign) में 18 साल के ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन दी जा सकेगी. सरकार ने यह भी कहा था कि टीकाकरण के लिए निजी अस्पातल और राज्य सरकारें विनिर्माताओं से टीके की खुराक खरीद सकती हैं.
"हमने साफ कर दिया है....": कोरोना वैक्सीन की कीमत पर विवाद को लेकर केंद्र ने रखा अपना पक्ष
सुब्रमण्यनन ने ट्विटर पर एक के बाद एक कई संदेश में कहा, ‘‘भारत की वैक्सीन मूल्य नीति जटिल और राजनीति भरी है... सरकार को चाहिये कि वह विनिर्माताओं को तर्कसंगत कीमत दे. यह सौदेबाजी काने या घरेलू या विदेशी निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए अनिश्चितता पैदा करने का समय नहीं है.''भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) ने इसी हफ्ते घोषण की थी कि वह कोविशील्ड वैक्सीन राज्य सरकारों को 400 रुपये प्रति शीशी और निजी अस्पतालों को 600 रुपये प्रति शीशी की दर पर देगी. कंपनी केन्द्र सरकार को अभी तक 150 रुपये की दर से कोविशील्ड की खुराक दे रही थी.
टीके की कमी नहीं होने का दावा खोखला और झूठा है, केंद्र पर बरसे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम
सुब्रमण्यनन ने ट्वीट किया, ‘‘पूरे देश में, वैक्सीन के इंजेक्शन की कीमत एक ही होनी चाहिये और यह कीमत शून्य होनी चाहिये. अत: सबके लिए वैक्सीन मुफ्त हो. भेदभाव और जटिलता अनैतिक और अनावश्यक है और इसे लागू करना भी कठिन होगा. उन्होंने कहा कि सबके लिए वैक्सीन मुफ्त होने से इस पर राजनीति नहीं होगी. उन्होंने कहा कि वैक्सीन की पूरी की पूरी लागत केन्द्र को उठानी चाहिये न कि राज्यों को.
खबरों की खबर : अब 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीका
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं