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This Article is From Mar 25, 2022

Sri Lanka: राष्ट्रपति राजपक्षे आखिरकार अल्पसंख्यक तमिल नेताओं से मिले, प्रदर्शनों के बाद आया यह पहला मौका

नवंबर, 2019 में राजपक्षे के राष्ट्रपति बनने के बाद तमिल अल्पसंख्यकों ने कई बार राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी. कम से कम दो अवसरों पर अंतिम समय में बिना कारण बताए मुलाकात रद्द कर दी गई, और तमिल नेताओं को मजबूरन प्रदर्शन करना पड़ा

Sri Lanka: राष्ट्रपति राजपक्षे आखिरकार अल्पसंख्यक तमिल नेताओं से मिले, प्रदर्शनों के बाद आया यह पहला मौका
Sri Lanka में तमिल अल्पसंख्यकों के अधिकार एक बड़ा मुद्दा हैं ( File Photo)
कोलंबो:

श्रीलंका (Sri Lanka) के सबसे प्रमुख तमिल राजनीतिक समूह (Tamil Political Group) के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के करीब दो साल बाद गोटबाया राजपक्षे ( gotabaya rajapaksa) ने पहली बार शुक्रवार को टीएनए (TNA) के नेताओं से मुलाकात की. राजपक्षे के नवंबर, 2019 में पदभार संभालने के बाद उनके और तमिल नेशनल एलायंस (TNA) के बीच नवंबर, 2019 से ही मुलाकात संभव नहीं हो पा रही है.राष्ट्रपति से मिलने और द्वीपीय देश के उत्तरी तथा पूर्वी हिस्सों में तमिल लोगों के समक्ष आ रही समस्याओं पर चर्चा करने के लक्ष्य से टीएनए के सांसदों के एक समूहों ने पिछले महीने राष्ट्रपति सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया था.

नवंबर, 2019 में राजपक्षे के राष्ट्रपति बनने के बाद टीएनए ने कई बार राष्ट्रपति से मिलने का वक्त मांगा, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी. कम से कम दो अवसरों पर अंतिम समय में बिना कारण बताए मुलाकात रद्द कर दी गई, और तमिल नेताओं को मजबूरन प्रदर्शन करना पड़ा.

टीएनए चाहता है कि संविधान का 13वां संशोधन देश के तमिल अल्पसंख्यकों की राजनीतिक चिंताओं को दूर करने के लिहाज से ‘अर्थपूर्ण' हो.

श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति जे. आर. जयवर्धन और भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच 1987 में हुई भारत-श्रीलंका संधि के कारण संविधान में 13वां संशोधन हुआ. यह श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यकों को कुछ अधिकार प्रदान करता है.

हाल ही में मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि गोटाबाया राजपक्षे का प्रशासन अल्पसंख्यक तमिल और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ PTA ( (Prevention of Terrorism Act)  कानून का गलत इस्तेमाल कर रहा है. इससे पहले की सरकार ने इस कानून को हटाने का वादा किया था लेकिन मौजूदा सरकार इससे मुकर गई. भारत सरकार ने भी पहले श्रीलंका सरकार ने अल्पसंख्यक तमिलों के अधिकार सुनिश्चित करने की अपील की थी.  

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