महाराष्ट्र में धीमी पड़ी बूस्टर डोज की रफ्तार, एक महीने में 4 हजार डॉक्टर कोरोना संक्रमित

10 जनवरी से शुरू हुए प्रिकॉशन डोज दिए जाने की मुहिम के दौरान महाराष्ट्र में 4 लाख से अधिक योग्य स्वास्थ्य कर्मियों में से, सिर्फ 43 फीसदी यानी 1,75,497 ने ही तीसरा टीका लिया है.

मुंबई:

महाराष्ट्र में कोविड की रफ़्तार तेज है और रोजाना मामले 46,000 के पार हैं. इसी बीच बूस्टर डोज दिए जाने की रफ़्तार धीमी पड़ी है. क्योंकि बड़ी संख्या में हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर संक्रमित हुए हैं और नियमतः संक्रमण के तीन महीने बाद ही टीका लग सकता है. साथ ही कईयों में ऐसी दुविधा भी कायम है कि बूस्टर डोज कारगर है या नहीं. इसी क्रम में डॉ मार्या और डॉ फिरदौस जैसे कई हेल्थकेयर वर्कर्स तीसरी लहर में संक्रमित होने के कारण प्रिकॉशन डोज से वंचित हैं, क्यूँकि नियमतः संक्रमण के तीन महीने बाद ही टीका लग सकता है.

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डॉ मार्या, बीकेसी कोविड जंबो सेंटर का कहना है कि मैंने दूसरा डोज मार्च में लिया था. दोनों लहर में सेफ थी. लेकिन दुर्भाग्यवश तीसरी लहर में मुझे कोविड हो गया. जिसकी वजह से मैंने बूस्टर डोज नहीं ले पा रही. लेकिन समय पूरा होते ही ले लूंगी. वहीं डॉ फिरदौस शेख ने बताया कि मुझे तीनों वेव में कोविड हुआ है. अभी जब बूस्टर डोज लेने वाली थी, तब इस तीसरी लहर में भी मुझे कोविड हो गया.

बता दें कि 10 जनवरी से शुरू हुए प्रिकॉशन डोज दिए जाने की मुहिम के दौरान महाराष्ट्र में 4 लाख से अधिक योग्य स्वास्थ्य कर्मियों में से, सिर्फ 43 फीसदी यानी 1,75,497 ने ही तीसरा टीका लिया है. फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए संख्या मामूली रूप से बेहतर है, जहां लगभग 3 लाख पात्र में से सिर्फ 48 फीसदी यानी 145562 ने प्रिकॉशन डोज लिया है. फ्रंटलाइन वर्कर्स की तुलना में अधिक, 188758 को-मोर्बिड वरिष्ठ नागरिकों ने प्रिकॉशन डोज़ ले लिया है. दस दिनों में राज्य में कुल 5,09,817 बूस्टर डोज दिए गए हैं.

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बीकेसी कोविड जंबो सेंटर के डीन डॉ राजेश डेरे का कहना है कि स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स काफी संख्या में इस लहर में संक्रमित हुए हैं, इसलिए वो बूस्टर डोज नहीं ले पा रहे हैं. साथ ही कईयों में ये सवाल या दुविधा भी कायम है कि बूस्टर डोज फ़ायदेमंद है कि नहीं. इसलिए भी रफ़्तार धीमी है.

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उधर, महाराष्ट्र आईएमए के प्रवक्ता डॉ अविनाश भोंडवे का कहना है कि सरकार ने जो वैक्सिनेशन के लिए डॉक्टरों की सूची बनायी थी, उसमें बड़ी संख्या में डॉक्टरों का नाम ग़ायब था. इसलिए उन्हें खुद रेजिस्टर करना पड़ा कोविन पर. इसलिए एक तरह से कई डॉक्टर मार्च के बाद अपना डोज़ ले पाए थे, जिसकी वजह से अभी वो बूस्टर डोज नहीं ले पा रहे हैं. वहीं दिसंबर के आख़िरी हफ़्ते से अभी तक यानी करीब एक महीने में अब तक महाराष्ट्र में 4000 से ज़्यादा डॉक्टर संक्रमित हुए हैं.